प्रदीप गुप्ता/ नर्मदापुरम/ ठेकेदार द्वारा मनमानी कर महंगी रेत उपलब्ध कराई गई, जिससे आज भी प्रदेश में निर्माण कार्य महंगे हो रहे हैं।नर्मदापुरम में हुए रेत के ठेके से आज डंपर मालिक ट्रैक्टर ट्राली एवं मजदूर बेरोजगारी की कगार पर आते जा रहे हैं। सरकार से महंगा ठेका लेकर आर.के.टी. सी कंपनी ने अपनी ठेकेदारी तो शुरू कर दी थी मगर कुछ ही सालों में सरकार से अनुबंध होने के कारण ठेका निरस्त सा नजर आ रहा है । मगर इससे नुकसान सरकार को राजस्व का हुआ। साथ में नर्मदापुरम जिले के ट्रक मालिक ट्रैक्टर ट्राली मालिक रेत भराई मजदूर एवं निर्माण कार्य से संबंधित सभी को बेरोजगारी का बोझ झेलना पड़ रहा है। ट्रक ओनर एसोसिएशन के प्रवक्ता अक्षय दीक्षित ने बताया की कंपनी के द्वारा जिले में रेत खदान का ठेका शुरू किया गया था। जिसमें एक निश्चित रूप से रॉयल्टी प्राप्त करके एक नंबर से व्यापारी अपना व्यापार कर रहे थे कोरोना के बाद एनजीटी लग जाना और अब हटने वाली एनजीटी के बाद रेत खदान का चालू ना हो ना कहीं ना कहीं इन व्यापारियों को निर्माण से जुड़े कार्यों में बाधा नजर आ रही है। वही मुख्यमंत्री आवास योजना प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत किए जा रहे निर्माण कार्य में मध्यम वर्गीय एवं गरीब हितग्राहियों को अपना आशियाना बनाने में असुविधा महसूस हो रही है एनजीटी हटने के बाद सरकार के पास पर्याप्त मात्रा में रेत उपलब्ध हो जाएगी। मगर कंपनी के द्वारा चल रही कार्रवाई के कारण खदान चालू होना असंभव सा लग रहा है। वहीं सरकार के द्वारा स्टॉक की परमिशन दी जा रही है, जिसमें पूर्व में स्टॉक पर पड़ा हुआ माल की सप्लाई शुरू हो जाएगी। जिससे रेत तो मिलेगी मगर कुछ समय के लिए एवं उचित दामों पर मिलेगी जो आने वाले समय में मध्यम वर्गीय परिवार को निर्माण में दिक्कत पैदा होगी। यह एक निजी करण का दुष्परिणाम साबित हो रहा है । सरकार को रेत खदान अपने अधिग्रहण कर सरकारी कर्मचारियों एवं सरकारी विभाग द्वारा संचालित करना चाहिए। जिससे सुविधाजनक व्यापार शुरू हो सके और सुविधाजनक निर्माण कार्य चल सके।