अभी पितृ पक्ष चल रहा है और पितरों के लिए श्राद्ध कर्म करने का ये महापर्व 25 सितंबर तक चलेगा। इन दिनों में पितरों के लिए धूप-ध्यान, पिंडदान, तर्पण आदि शुभ काम किए जाते हैं। इन दिनों में दूसरों को खाना खिलाने की भी परंपरा है।
कोलकाता की एस्ट्रोलॉजर डॉ. दीक्षा राठी का कहना है, ‘पितृ पक्ष में घर-परिवार के पितर देवता अपने वंश के लोगों के घर आते हैं। पितृ पक्ष के बाद वे अपने पितृ लोक लौट जाते हैं। पितृ पक्ष में धूप-ध्यान करने के बाद ब्राह्मणों के अलावा दामाद, भांजा, मामा, गुरु, नाती को भी खाना खिलाना चाहिए।’
सवाल-जवाब में जानिए पितृ पक्ष से जुड़ी खास बातें…
सवाल- पितृ पक्ष में कौन-कौन से कामों से बचना चाहिए?
जवाब- पितृ पक्ष में अधार्मिक कामों से बचना चाहिए। क्रोध न करें। घर में क्लेश न करें। लालच से बचें। दूसरों के लिए बुरे विचार न रखें। घर-परिवार और बाहर किसी भी व्यक्ति का अपमान न करें। किसी भी जीव-जंतु खासतौर पर कुत्ते, गाय और कौएं को परेशान न करें। इनके लिए भोजन और पानी की व्यवस्था जरूर करें।
सवाल- पितरों के लिए कब कौन से काम किए जा सकते हैं?
जवाब- पितरों के लिए धूप-ध्यान, पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म करने के लिए दोपहर का समय सबसे अच्छा रहता है। इसके अलावा रोज शाम को पितरों का ध्यान करते हुए घर के बाहर दीपक जलाना चाहिए।
सवाल- जिन लोगों की मृत्यु तिथि मालूम नहीं है, उनका श्राद्ध कब करें?
जवाब- पितृ पक्ष में व्यक्ति मृत्यु तिथि के आधार पर श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। जिस तिथि पर व्यक्ति की मृत्यु होती है, उसी तिथि पर उसके लिए श्राद्ध करना चाहिए।
अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु तिथि मालूम नहीं है तो उसके लिए सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर श्राद्ध किया जा सकता है। इस बार ये तिथि 25 सितंबर को है।
पंचमी तिथि (14 सितंबर) पर अविवाहित मृत लोगों के लिए श्राद्ध किया जाता है। अगर किसी सुहागिन महिला की मृत्यु तिथि मालूम न हो तो उसका श्राद्ध नवमी तिथि (19 सितंबर) पर करें।
एकादशी तिथि (21 सितंबर) पर संन्यासी का श्राद्ध किया जाता है। चतुर्दशी तिथि (24 सितंबर) पर शस्त्रों से या आत्महत्या करने वाले या किसी दुर्घटना में मरे हुए लोगों का श्राद्ध किया जाता है। मृत छोटे बच्चों का श्राद्ध त्रयोदशी तिथि (23 सितंबर) पर करना चाहिए।
ध्यान रखें पितरों से जुड़े काम करते समय सफेद या पीले कपड़े पहनते हैं तो ज्यादा बेहतर रहता है।