प्रदीप गुप्ता/ नर्मदापुरम/ गणेश उत्सव पर गणेश जी की सेवा करने के बाद अंततः उन्हें विसर्जन कर विदाई भी दी गई और गणपति बप्पा मोरिया अगले बरस तू जल्दी आ के गगनचुंबी आवाज से आकाश गूंज गया। गणेश उत्सव के विसर्जन का भी एक संदेश यह है कि आज जिस तरह से भारत की संस्कृति पूरे विश्व में एक अपनी अलग ही पहचान बना चुकी है। छोटे-छोटे बच्चों महिलाओं ने अपने घरों से निकलकर अपने धर्म के प्रति और अपने भगवान के प्रति सच्ची श्रद्धा दिखाई है जो कि एक भारतीय संस्कृति के लिए शुभ संदेश है। वही देखा जाए तो मुंबई में लाल बाग के राजा के दर्शन करने के लिए लोगों को सुबह से शाम हो जाती है या यूं कहो कि भीड़ इतनी रहती है कि दर्शन करने में 5 घंटे का समय लग जाता है बरसों पुरानी हमारी संस्कार और यह ईश्वर के प्रति सच्ची श्रद्धा है जो हमें दिन पर दिन बढ़ती हुई दिख रही है।