अश्विन कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या यानी 15 दिन पितृपक्ष पिता के नाम से विख्यात है इन 15 दिनों में लोग
अपने पितरो पूर्वजों को जल देते है तथा उनकी मृत्यु तिथि पर
पार्वण श्राद्ध करते है पं. आर्कषण महाराज ने बताया की पिता माता सहित परिवारिक सदस्यों की मृत्यु के पश्चात उनकी तृप्ति के लिए श्रद्धा पूर्वक किये जाने वाला कर्म को श्राद्ध कहते है हिंदू संस्कृति में मनुष्य पर माने गए सबसे बड़े ऋण पितृ ऋण से मुक्त होने के लिए निर्धारित विशेष समय काल पितृपक्ष की शुरूआत आज से प्रारंभ है इस दौरान सनातन धर्म के अनुयायी अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या तक पूर्वजों का श्राद्ध करेंगे पितृपक्ष में प्रत्येक परिवार में मृत माता-पिता का श्राद्ध किया जाता है इस मौके पर श्राद्ध का विशेष महत्व है जिसके चलते बड़ी संख्या में लोग पितृपक्ष के दौरान गया जी की यात्रा भी करते है और पितरो का तर्पण करते है इस दौरान शुभ कार्य जैसे ग्रह प्रवेश शादी विवाह मुंडन जैसे अनेक कामो मे विराम लग जाता है