रिपोर्टर शुभम सहारे
बैतूल से वन विहार नेशनल पार्क में लाए गए तेंदुआ शावक को साधारण चोटें नहीं है, बल्कि उसकी रीढ़ की हड्डी टूटी हुई है। रीड् की हड्डी का जुड़ पाना असंभव जैसा है। तब भी वन्यप्राणी विशेषज्ञ और डाक्टरों का दल उसे बचाने में जुटा हुआ है।
दरअसल, शावक के कमर के बाद का हिस्सा निष्क्रिय था, जिसे प्रारंभिक तौर पर लकवाग्रस्त कहा जा रहा है। वन्यप्राणी विशेषज्ञ डा. अतुल गुप्ता और राज्य पशु चिकित्सालय के डा. सुनील कुमार तुमड़िया समेत अन्य की मौजूदगी में शनिवार को तेंदुए को बेहोश कर एक्सरे किया गया। रिपोर्ट में रीढ़ की हड्डी टूटने की पुष्टि हुई है। यह शावक बैतूल के दक्षिण वन मंडल की आमला रेंज में दो पेड़ों के बीच फंसा मिला था। रिपोर्ट आने के बाद अधिकारी आशंका जता रहे हैं कि शावक पेड़ के ऊपर से गिरा है, जिसके कारण हड्डी टूटी है। दो पेड़ों के बीच की दूरी को फांद कर गुजरने की कोशिशों में रीड की हड्डी टूट पाना असंभव लगता है।
रीढ़ की हड्डी टूटने का पहला मामला
वन्यप्राणी विशेषज्ञों का कहना है कि पहली बार इतने छोटे शावक की हड्डी टूटने का मामला सामने आया है। अलग-अलग राज्यों के डाक्टरों से बातचीत करेंगे, शावक की रीढ़ की हड्डी जोड़ पाने के जो संभव तरीके हो, उन पर काम किया जाएगा। फिलहाल छह दिन तक उसे स्थिर रखकर संभावित सुधारों की समीक्षा करेंगे। बता दें कि उक्त शावक को 31 अगस्त की रात बैतूल से वन विहार नेशनल पार्क शिफ्ट किया था।
पार्क के डाक्टर अतुल गुप्ता का कहना है कि इतने छोटे शावक की रीढ़ हड्डी टूटने का उनके रहते पहला मामला है, जो बहुत ही चुनौतीपूर्ण है। इसके प्रत्येक पहलुओं का अध्ययन कर रहे हैं। कोशिश तो यही है कि शावक को किसी तरह बचाया जाए। अब इसमें कितना सफल होंगे, यह फिलहाल कह नहीं सकते। वैसे अलग-अलग राज्यों के अधिक अनुभवशील विशेषज्ञों से चर्चा कर रहे हैं। यदि कोई अच्छा उपाय मिला तो उसे अपनाएंगे।
डाक्टरों के मुताबिक शावक डाइट ले रहा है, जो कि एक सामान्य शावक की तरह ही है। जिसकी वजह से उसे बड़ा सपोर्ट मिल रहा है। यदि वह डाइट लेना भी बंद कर देता तो फिर दिक्कतें हो सकती थी। आगे के पैर भी पूरी तरह चल रहे हैं, शरीर के अगले हिस्से में सामान्य हलचल है।