रिपोर्टर सीमा कैथवास
नर्मदापुरम । प्रदेश में डीएपी खाद की उपलब्धता पर संकट को लेकर जहां विपक्ष सरकार से सवाल खड़े कर रहा है और पूछ रहा है कि खाद संकट के लिए जिम्मेदार कौन है? किसानों के लिए डीएपी की उपलब्धता के संबंध में सरकार की क्या योजना है। वहीं नर्मदापुरम जिला मुख्यालय पर शुक्रवार को क्रांतिकारी किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष लीलाधर सिंह राजपूत के नेतृत्व में राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद मीणा, प्रदेश अध्यक्ष बृजमोहन यदुवंशी, प्रदेश प्रवक्ता संतोष नागर, युवा जिला अध्यक्ष अरुण पटेल, जिला प्रवक्ता किसान केशव साहू, बनखेड़ी से करीम बेग,मोनू चौहान,बृजेश चौरे आदि किसानों की उपस्थिति में पत्रकारवार्ता कर वर्तमान में किसानों के सामने डीएपी खाद के संकट सहित किसानों की गंभीर समस्याओ को मीडिया के समक्ष रखते हुए प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार से अविलंब डीएपी खाद उपलब्ध कराई जाने की मांग की हैं। संघटन के राष्ट्रीय अध्यक्ष लीलाधर सिंह राजपूत ने मीडिया को बताया कि करीब एक माह पूर्व क्षेत्रीय सांसद सहित जिला प्रशासन के साथ ही बैठक में संगठन ने अवगत कराया था कि किसानों को समय पर डीएपी खाद उपलब्ध करा दिया जाना चाहिए। जिससे कृषि उत्पादन प्रभावित नहीं होगा। परंतु जिले में किसानों के सामने डीएपी खाद का संकट हैं। डबल ब्लॉक सिस्टम से एक स्थान से खाद वितरण की व्यवस्था क्यों करना चाहते हैं? हजारों किसानो को एक स्थान से वितरण की जगह विकेंद्रीकरण किया जाना चाहिए। सहकारी संस्थाओं के माध्यम से खाद वितरण होगा तो किसानों को दिक्कत नहीं होगी, उसे समय पर भी उपलब्ध होगा। रवि सीजन में बोहनी के लिए सरकार द्वारा पर्याप्त मात्रा में डीएपी खाद उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। विकल्प के रूप में एनपीके जैसे अन्य विकल्प दिए जा रहे है। जिससे किसानों को पर्याप्त गुणवत्ता की फसल नहीं मिलेगी और डीएपी की अपेक्षा फसल में लागत भी ज्यादा आएगी। सरकार आमदनी बढ़ाने का कार्य नहीं कर रही है। अन्य विकल्प से यहां कृषि कार्य घाटे का व्यवसाय होगा। सहकारी समिति किसानों की समिति होती है। इन्हें डिफाल्टर बताया जा रहा है जबकि किसानों को उनकी फसल का भुगतान जब होता है तो समितियां उनका कर्ज का पैसा काट लेती हैं, तब किसान डिफाल्टर कैसे होता हैं?आखिर समितियां को जो मुनाफा होता है उसका लाभांश किसानों को क्यों नहीं दिया जाता, कहां जाता है?