सनातनी हिन्दुओ एवं देवी देवताओ के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने एवं अपमान करने वालो के विरुद्व कार्यवाही की मांग को लेकर हिन्दू समाज ने मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन, सनातन संस्कृति पर हो रहे हमलों के विरुद्ध हिंदू समाज ने की कार्यवाही की मांग
ढीमरखेड़ा | सनातन संस्कृति, जिसे भारतीय समाज का मूल आधार और सांस्कृतिक धरोहर माना जाता है, आज विभिन्न प्रकार के षड्यंत्रों और हमलों का सामना कर रही है। हाल ही में, जन्माष्टमी के पवित्र अवसर पर शासकीय महाविद्यालय ढीमरखेड़ा के पूर्व प्रभारी प्राचार्य बृजलाल द्वारा भगवान श्री कृष्ण के प्रति अपमानजनक टिप्पणी करना, साधु-संतों एवं महापुरुषों के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने की घटना ने हिंदू समाज को आहत और आक्रोशित कर दिया। इस घटना के बाद, हिंदू समाज के सदस्यों ने कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा और तत्काल कार्यवाही की मांग की है।
*सनातन संस्कृति पर हमले, एक षड्यंत्र*
वर्तमान समय में सनातन धर्म और उसके अनुयायियों के खिलाफ सुनियोजित हमलों में तेजी देखी जा रही है। सोशल मीडिया, शैक्षणिक संस्थान, और अन्य मंचों का उपयोग करते हुए, कुछ व्यक्ति और समूह सनातन संस्कृति के प्रतीकों, देवी-देवताओं, और संतों का अपमान कर रहे हैं। शासकीय महाविद्यालय ढीमरखेड़ा के पूर्व प्रभारी प्राचार्य बृजलाल द्वारा भगवान श्री कृष्ण के बारे में की गई आपत्तिजनक टिप्पणियां इस प्रकार के हमलों का ताजा उदाहरण है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साधु-संतों और महापुरुषों के खिलाफ भी अपमानजनक टिप्पणियां की हैं, जिससे समस्त सनातनी हिंदू समाज अत्यधिक आहत हुआ है।
*ज्ञापन की मांग,अपमानजनक व्यक्तियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही*
हिंदू समाज ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन में मांग की है कि संबंधित प्राचार्य बृजलाल को शासकीय सेवा से बर्खास्त किया जाए और उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाए। इसके अलावा, श्री बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर श्री धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के खिलाफ अपमानजनक शब्दावली का प्रयोग करने वाले व्यक्तियों पर भी कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है।
*समाज में अराजकता फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की आवश्यकता*
पद्मेश गौतम, जो कि सांसद प्रतिनिधि हैं, ने संबंधित प्राचार्य की शिकायत की थी। इसके बाद, भीम आर्मी के कुछ तथाकथित अराजक तत्वों ने पद्मेश गौतम के पोस्टर और उनके छाया चित्र के साथ अपमानजनक और अश्लील व्यवहार किया। ज्ञापन में इन सभी अराजक तत्वों की पहचान कर उनके खिलाफ कठोर और दंडात्मक कार्यवाही की मांग की गई है।
*धर्मविरोधी गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कदम*
संबंधित प्राचार्य और उनके सहयोगियों द्वारा सनातन धर्म और उसके प्रतीकों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करना न केवल एक धार्मिक समुदाय की भावनाओं को आहत करता है, बल्कि समाज में धार्मिक सौहार्द को भी खतरे में डालता है। इसलिए, ज्ञापन में मांग की गई है कि ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही की जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में कोई भी व्यक्ति किसी भी प्लेटफार्म पर सनातन संस्कृति के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी न कर सके।
*प्रशासन की जिम्मेदारी और कर्तव्य*
हिंदू समाज ने ज्ञापन में स्पष्ट किया है कि प्रशासन का यह कर्तव्य है कि वह इस प्रकार की घटनाओं का संज्ञान लेकर त्वरित और सख्त कार्यवाही करे। यदि प्रशासन इस पर उचित और त्वरित कार्यवाही नहीं करता है, तो समस्त सनातनी हिंदू समाज प्रदेश और देशभर में आंदोलन के लिए बाध्य होगा। ऐसी स्थिति में आंदोलन की जवाबदारी शासन-प्रशासन की होगी।
*समस्त हिन्दू समुदाय हुआ एकत्रित*
सनातन संस्कृति पर हो रहे हमले न केवल धार्मिक मुद्दे हैं, बल्कि ये राजनीतिक और सामाजिक संदर्भ में भी महत्वपूर्ण हैं। राजनीतिक दलों, संगठनों, और विचारधाराओं का भी इन घटनाओं में अहम भूमिका हो सकती है। भीम आर्मी जैसे संगठनों के तत्वों का इन घटनाओं में शामिल होना दर्शाता है कि इस प्रकार की घटनाएं केवल व्यक्तिगत आचरण नहीं हैं, बल्कि इसके पीछे एक राजनीतिक मंशा भी हो सकती है।
*संस्कृति और धार्मिक आस्था की रक्षा की आवश्यकता*
सनातन धर्म की धार्मिक आस्था, संस्कार, और परंपराएं भारतीय समाज की जड़ों में गहराई से पैठी हुई हैं। इन्हें किसी भी प्रकार के हमले या अपमान से बचाने के लिए कठोर कदम उठाना अत्यावश्यक है। समाज की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए खड़ा हो और प्रशासनिक निकायों को भी इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए प्रेरित करे।
*कठोर कार्यवाही की आवश्यकता*
ऐसी घटनाओं के खिलाफ कानूनी उपायों का सहारा लेना जरूरी है ताकि समाज में एक संदेश जाए कि धर्म, संस्कृति और आस्था का अपमान किसी भी प्रकार से बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ज्ञापन में हिंदू समाज ने प्रशासन से मांग की है कि वह खुद ऐसी घटनाओं पर संज्ञान लेकर कार्यवाही करे। इसके साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न दोहराई जाएं।
*जनआंदोलन की संभावना और सरकार की जवाबदेही*
ज्ञापन में यह चेतावनी भी दी गई है कि यदि प्रशासन ने इस पर तत्काल कार्यवाही नहीं की, तो पूरे मध्य प्रदेश और भारत में व्यापक आंदोलन किए जाएंगे। ऐसे आंदोलनों की स्थिति में होने वाली अव्यवस्था और इसके परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाली सामाजिक और राजनीतिक समस्याओं की जवाबदेही शासन और प्रशासन की होगी। प्रस्तुत ज्ञापन से स्पष्ट होता है कि सनातन संस्कृति और उसके अनुयायियों की रक्षा के लिए प्रशासनिक और कानूनी कार्यवाही न केवल आवश्यक है, बल्कि अनिवार्य भी है। सामाजिक सौहार्द्र, धार्मिक स्वतंत्रता, और न्यायिक प्रणाली की गरिमा को बनाए रखने के लिए यह सुनिश्चित करना होगा कि इस प्रकार की घटनाओं पर कठोर कार्रवाई की जाए।