रिपोर्टर सीमा कैथवास
नर्मदापुरम। शासकीय गृहविज्ञान स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय नर्मदापुरम में रविवार 11 अगस्त को तुलसी जयंती के अवसर पर स्नातकोत्तर हिंदी विभाग के संयोजन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ कामिनी जैन ने अपनी गरिमामई उपस्थिति प्रदान की।
गोस्वामी तुलसीदास के जयंती के शुभ अवसर पर गोस्वामी जी के छायाचित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन किया गया। हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ पुष्पा दुबे, डॉ श्रुति गोखले, डॉ कीर्ति दीक्षित ने तुलसी दास जी के छायाचित्र पर माल्यार्पण एवं फूल अर्पण कर प्रार्थना की।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ श्रीमती कामिनी जैन में इस अवसर पर अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में तुलसी साहित्य का एक सशक्त और महत्वपूर्ण स्थान है। तुलसी साहित्य प्राचीन से वर्तमान युग के मानव मात्र का मार्गदर्शक रहा है। तुलसी युगीन राम राज्य की कल्पना राष्ट्र निर्माण में हमेशा की जाती रही है ।स्नातक स्तर पर रामचरितमानस रूएक अध्ययन पेपर भी पढ़ाया जा रहा है। तुलसी ने ऐसे साहित्य का सृजन किया जो आज के युग में भी हमें मार्गदर्शन देता है । भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ में तुलसी बृहद साहित्य उपलब्ध है छात्राएं उसका अध्ययन कर लाभान्वित हो सकती हैं ।
हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ पुष्पा दुबे ने तुलसी जीवन वृत्त और उनके साहित्य में योगदान की को स्पष्ट करते हुए बताया कि गोस्वामी जी समन्वय की विराट चेष्टा के कवि हैं। तुलसी का साहित्य सशक्त गुरु और मार्गदर्शन की भूमिका निभाता रहा है । और आज भी हम राम राज्य जैसे युग की कल्पना करते हैं। डॉ श्रुति गोखले में बताया कि गोस्वामी तुलसीदास लोक नायक हैं उन्होंने अत्यंत विषम परिस्थितियों में साहित्य सृजन किया। विषम परिस्थितियों, रोग, दोष के निवारणार्थ साहित्य का सृजन किया, हमारा जब भी मनोबल कम होता है तब तुलसीकृत चौपाइयों का स्मरण कर मार्गदर्शन प्राप्त करतें हैं । तुलसी का साहित्य आज भी शोधार्थियों के शोध का केंद्र बना हुआ है।
डॉ कीर्ति दीक्षित में तुलसीकृत प्रमाणिक ग्रंथ की चर्चा करते हुए कहां की बार-बार पढ़ने पर भी रामचरितमानस की चौपाइयां नूतन प्रतीत होती है। इस अवसर पर तुलसीकृत श्री रामचंद्र कृपालु भजमन का सस्वर गायन किया गया। तुलसी जयंती के कार्यक्रम में डॉ रामबाबू मेहर, श्री प्रेमकांत, श्री शैलेंद्र तिवारी, श्री अजय तिवारी, श्रीमती प्रीति ठाकुर, डॉ अनिल रजक, एवं हिंदी विभाग की छात्राएं उपस्थित रही।