रिपोर्ट चंद्रिका यादव
शिकारगंज क्षेत्र -बाबा जागेश्वर नाथ हेतिमपुर महर्षि ज्ञानवल्य की भूमि पर संगीतमय श्री राम कथा के तीसरा निशा में कथा व्यास प .उमाकांत अग्निहोत्री ने कहां कि भगवान श्री राम का जन्म अवध के राजा रा नी कौशल्या के घर हुआ था , राजा दशरथ को संतान न होने पर उन्होंने अपने कुलगुरु वरिष्ठ से पूजा कराया था, जिसे अग्नि देवता ने राजा दशरथ को खीर दिए थे , राजा दशरथ के तीन राशियों, कौशल्या केकई और सुमित्रा को खीर दी थी,
खीर को खाने के बाद इतनी रानियां को भगवान श्री राम समेत भरत लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ
कथा व्यास ने कहां के भगवान श्री राम जन्म के बाद , नामकरण और दीक्षा शिक्षा को गुरु वरिष्ठ ने ग्रहण कराया था
कथा व्यास ने कथा का श्रवण कराते हुए कहा कि भगवान श्री राम बाललीला का बख्यान करते हुए कहां के प्रभु श्री राम माता कौशल्या राजा दशरथ चेहरे की देखा तो कहा कि चेहरे की लालिमा चंद्रमा की सम्मान,
प्रभु श्री राम की श्रृंगार देवता लोग करते थे
कथा व्यास ने अभी कहा कि साधु संतु का हमेशा सम्मान करना चाहिए, साधु संतों के सम्मान से, संस्कृति की उत्पत्ति होती है
भारतीय संस्कृति का कृति पूरी विश्व जगत में लोहा माना जाता है
मौके पर समिति अध्यक्ष अरविंद सिंह, महंत अनूप गिरी, गोपाल विश्वकर्मा, रामभरोस जायसवाल , जयशंकर प्रसाद जायसवाल, योगेंद्र बहादुर सिंह, जनार्दन सिंह पूर्व प्रधान, धर्मेंद्र,मोदनवाल, भारत माली, श्रवण पांडे, राजन मोदनवाल, सालिक पाल आजाद शर्मा, किशन मोदनवाल, व सैकड़ो की संख्या में कथा में उपस्थित रहे