उमरियापान:- उमस भरी गर्मी से जहां लोगों को जीना मुहाल हो रहा है। वहीं उमरियापान क्षेत्र में धान की फसलों में फफूंद के प्रकोप बढ़ने से किसान परेशान हैं।क्षेत्र के कई किसानों की धान की फसल बीमारी के कारण सूखने लगी है। यह बीमारी जड़ से लेकर निकल रहे दानों में फैली हुई है।यह रोग फफूंद जनित है। उमरियापान के किसान धनश्याम प्रसाद चौरसिया ने बताया कि वे नर्मदा नहर के किनारे बम्हनी हार में दो एकड़ में धान की फसल बोए हैं। धान के पौधों में बीच बीच में फफूंद जनित रोग (पीला गाठिया) लग गया है। जो पौधों की बढ़वार कम करता है।दाने भी प्रभावित हो रहे है।जिससे पौधों की अंकुरण क्षमता पर भी प्रभाव पड़ता है।पत्तियों पर तिल के आकार के भूरे रंग के काले धब्बे बन रहे है।धब्बों के चारों ओर हल्की पीली आभा भी बनती है। पत्तियों पर ये पूरी तरह से बिखरे होते है।बीच का भाग पीलापन लिए, गेंदा सफेद या घूसर रंग का हो जाता है।धान की फसल में फैला यह फफूंदजनित रोग पौधे के पत्तियों,गांठो एवं बालियों के आधार को भी प्रभावित करता है।जिससे बाली कमजोर होकर वही से टूट कर गिर जाती है।पत्तियां भी झूलसकर सूख रही है।इस संबंध में ढीमरखेड़ा के प्रभारी कृषि विस्तार अधिकारी आर एस श्याम ने बताया कि अभी के मौसम में धान की फसल में मिल्ट (फफूंद रोग) ज्यादा हो रहे है। यह रोग उन खेतों में पाया जाता है, जिस खेत में यूरिया की मात्रा अधिक होती हैं और खेतों में लगातार पानी भरा होता है। हवा में यह रोग तेजी से फैलता है। अगर किसी भी खेत में इस तरह की बीमारी का लक्षण दिखाई पड़े तो किसान को यूरिया का छिड़काव नहीं करना चाहिए।
रिपोर्टर राजेंद्र कुमार चौरसिया धीमरखेडा कटनी