लाइन बॉक्स (टूलबॉक्स ) हटाकर ट्रॉली बैग का बोझ ट्रैन मैनेजर के कंधे पर
डालने के खिलाफ ट्रेन मैनेजरों का धरना । *
आल इंडिया गार्ड कॉउन्सिल (AIGC) के केंद्रीय नेतृत्व के आह्वान पर लाइन बॉक्स हटाकर, ट्राली बैग देने के साथ बॉक्स पोर्टर की सुविध बंद करने के रेल्वे बोर्ड के
निर्णय के खिलाफ आज जबलपुर मंडल के NKJ लॉबी के सम्मुख 1 दिवसीय धरना का आयोजन किया गया।
जिसमे शाखा के सभी ट्रेन मैनेजर ने इस धरने में हिस्सा लिया ।
रेल्वे बोर्ड के लाइन बॉक्स (टूल बॉक्स) हटाने के निर्णय का विरोध करते हुए धर्मेंद्र
सिंह अध्यक्ष एवं राम आसरे यादव सचिव और राजकुमार पाली राहुल कुमार सिंह
नाहर सिंह सैनी संजय कुमार सिंह रमाशंकर डीके पाठक आर पी माली उमेश
यादव कौशल कुमार शेर सिंह हरिकेश गुर्जर संदीप बरनवाल हरेंद्र सिंह आनंद
तिवारी के के मलिक राजू यादव ने बताया कि लाइन बॉक्स हटाने से ना केवल
ट्रेन मैनेजरों को परेशानी होगी बल्कि यात्री व ट्रेन की सुरक्षा व संरक्षा भी प्रभावित
होगी, साथ ही बॉक्स पोर्टर के रूप में कार्यरत हजारों कर्मचारियों को अपनी नौकरी
से हाथ धोना पड़ सकता है, क्योंकि लाइन बॉक्स परिवहन के कार्य में आज
भारतीय रेल हजारों की संख्या में बॉक्स पोर्टर इस कार्य में कार्यरत हैं।
*लाइन बॉक्स (टूल बॉक्स) क्या होता है*
जहां भी रेल में क्रू चेंज (स्टाफ का बदलना )किया जाता है वहां पर उसके साथ
उसका एक बॉक्स जिसमें रेल के सामान्य संचालन के दौरान काम आने वाले टूल्स
के साथ-साथ इमरजेंसी के दौरान काम आने वाले टूल्स रखा जाता है। साथ ही
बहुत सारे मैनुएल्स व पेपर रखे जाते है। जिसकी लिस्ट इस प्रकार है।
प्रति कॉमन लाइन बॉक्स, या ब्रेकवान में ही फिक्स बॉक्स में टूल्स रखे जाए।
साथ ही जो निजी सामान में डेटोनेटर है । वह भी हमें अपने साथ लेकर आना
जाना पड़ेगा, जो कानून की दृष्टि से गलत होगा क्योंकि डेटोनेटर अत्यंत ही
विस्फोटक होता है। डेटोनेटर पोटेशियम क्लोरेट, सल्फर, रेत, बाइंडर और
न्यूट्रलाइज़र से बने होते हैं। पोटेशियम क्लोरेट एक शक्तिशाली ऑक्सीकरण एजेंट
है, सल्फर के साथ मिश्रित होने पर खतरनाक हो जाता है और तब और भी
खतरनाक हो जाता है जब टेबल शुगरके साथ मिलाया जाता है जो तत्काल
आग/विस्फोट पैदा करने में सक्षम होता है। प्रत्येक डेटोनेटर में लगभग 8 ग्राम
होते हैं। इस तरह के रासायनिक संयोजन के ऐसे घटकों के 80 ग्राम के साथ 10
डेटोनेटर युक्त एक टिन एक हथगोला बनाने के लिए पर्याप्त है। यदि यह
गैरकानूनी समूहों के हाथों में पड़ता है, तो या रेलवे परिसर में बड़ी आपदा खड़ी हो
सकती है। क्योंकि इस डेटोनेटर के साथ कभी-कभी कार्य के दौरान पैसेंजर के रूप
में ट्रेन में यात्रा भी करनी पड़ती है।
पूर्व में AIGC के केंद्रीय नेतृत्व ने इस निर्णय, इससे होने वाली परेशानियों व
इसका समाधान से रेलवे बोर्ड रेल प्रशासन को अवगत कराया, परन्तु रेल प्रशासन
में एक तरफ निर्णय लेते हुए लाइन बॉक्स के वर्तमान प्रणाली को बंद करने का
निर्णय लिया। जिसके खिलाफ AIGC ने इस फैसले को दिल्ली हाइकोर्ट में चुनौती
दी। दिल्ली हाइकोर्ट ने रेलवे बोर्ड को चार सप्ताह का समय AIGC द्वारा उठाये
गए प्रश्न और उसका समाधान के लिए दिया है। मामला अभी न्यायालय में
विचाराधीन है। इस बीच लाइन बॉक्स हटाने का निर्णय माननीय न्यायालय की
अवमानना है।
इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए जो वर्तमान पद्धति है उसे जारी रखने, या
कॉउन्सिल के सुझावों पर अमल कर वर्तमान व्यवस्था में आंशिक परिवर्तन कर
ब्रेकवान यान में फिक्स टूल बॉक्स रखने की आवश्यकता है।