संतान सप्तमी के दिन बच्चों की भलाई और लंबी उम्र की कामना के लिए महिलाओं ने रखा व्रत —
* समाजसेवी मंजूषा गौतम–
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* * हिंदू धर्म में बहुत शुभ माना जाता है संतान सप्तमी का व्रत———-
* भाद्र मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को संतान सप्तमी और अनंत सप्तमी के नाम से जाना जाता है भविष्य पुराण में बताया गया है की सप्तमी तिथि भगवान सूर्य को समर्पित है सप्तमी तिथि के दिन भगवान सूर्य की पूजा अर्चना करने से आरोग्य और संतान की सुख की प्राप्ति होती है। मुस्कान ड्रीम्स फाउंडेशन की चेयरपर्सन संस्थापिका समाजसेवी अधिवक्ता मंजूषा गौतम ने बताया कि संतान सप्तमी के व्रत को हिंदू धर्म में बहुत शुभ माना जाता है क्योंकि यह व्रत बच्चों की भलाई और लंबी उम्र की कामना के लिए किया जाता है इस दिन लोग देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा करते हैं आमतौर पर यह व्रत विवाहित महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए रखती हैं। भविष्य पुराण में बताया गया है कि भगवान सूर्य की अष्ट दल बनाकर उनकी पूजा करें भगवान को घी का दीप दिखाएं और लाल फूल अगर कनेर का फूल मिल जाए तो यह और भी उत्तम फलदाई होगा इसके साथ ही अच्छा और आटे से बना हुआ प्रसाद बनाकर भगवान सूर्य को अर्पित करें सूर्य देव की पूजा में लाल वस्त्र धारण करना चाहिए।
* समाजसेवी मंजूषा गौतम ने बताया कि संतान सप्तमी व्रत के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं——-
* संतान की कामना के लिए जो महिलाएं संतान सप्तमी का व्रत को रखती हैं। उनके लिए यह नियम बनाया गया है कि इस व्रत को दोपहर तक कर लें शिव पार्वती की प्रतिमा को सामने चौकी पर रखकर उनकी पूजा अर्चना करें। पूजा में नारियल पान सुपारी और धूप दीप अर्पित करें। माताएं संतान की लंबी आयु और उनकी रक्षा के लिए कामना करते हुए भगवान शिव को कलावा लपेटे । कलावा को बाद में संतान की कलाई में लपेट दें।
* संतान सप्तमी व्रत की कथा—– संतान सप्तमी व्रत संतान सुख प्रदान करने वाला व्रत है इस व्रत से संतान को आरोग्य और दीर्घायु की प्राप्ति होती है भगवान श्री कृष्ण ने एक बार पांडु पुत्र युधिष्ठिर को भाद्र मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के महत्व को बताते हुए कहा था कि इस दिन व्रत करके सूर्य देव और लक्ष्मी नारायण की पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती है भगवान ने बताया कि उनकी माता देवकी के पुत्रों को कंस जन्म लेते ही मार देता था। लोमश ऋषि ने माता देवकी को तब संतान सप्तमी के व्रत के बारे में बताया माता ने इस व्रत को रखा और लोमश ऋषि के बताए विधान के अनुसार माता ने इस व्रत के नियम का पालन किया इससे मेरा जन्म हुआ । और मैं कंस के अत्याचार से धरती को मुक्ति दिलाई।