चौसठ योगिनी मंदिर भारत के सबसे प्रमुख तांत्रिक स्थलों में से एक माना जाता है. चौसठ योगिनी मंदिर तांत्रिक साधना और योगिनी पूजा का महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है. यहां पर साधक तंत्र विद्या की गहन साधना करते थे और योगिनियों की पूजा के माध्यम से आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करते थे. तंत्र साधना में इस मंदिर का विशेष महत्व माना जाता है. इस मंदिर को तांत्रिक यूनिवर्सिटी के नाम से भी जाना जाता है. अतीत में दूर दूर से लोग यहां तंत्र-मंत्र की शिक्षा ग्रहण करने के आया करते थे.
माना जाता है कि चौसठ योगिनी मंदिर का निर्माण 1323 ई. में हुआ था और इसे राजपूत राजाओं ने बनवाया था. इस मंदिर में 64 कमरे हैं और इन सभी 64 कमरों में भगवान शिव का भव्य शिवलिंग स्थापित है. यह मंदिर गोलाकार संरचना वाला है. इस मंदिर की संरचना संसद भवन से मिलती है. मंदिर के बीच में एक खुला हुआ मंडप है. इस मंडप में भी भगवान शिव का भव्य शिवलिंग स्थापित है. इस मंडप के चारों ओर ही 64 कमरे बनवाए गए हैं. माना जाता है कि यहां प्रत्येक कमरे में शिवलिंग के साथ साथ योगिनी की मूर्ति भी स्थापित थीं. यानी कि यहां 64 शिवलिंग के साथ साथ 64 योगिनी की मूर्ति भी स्थापित थी. इन मूर्तियों में से कुछ मूर्तियां अब चोरी हो चुकी हैं. मान्यता है कि 64 योगिनियों की मूर्तियां तंत्र साधना के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती हैं.
ऐसा माना जाता है कि चौसठ योगिनी मंदिर में विशेष प्रकार की आध्यात्मिक ऊर्जा विद्यमान रहती है. ये आध्यात्मिक ऊर्जा साधकों को ध्यान और साधना में सहायता करती है. यहां के स्थानीय लोगों के अनुसार, यह मंदिर आज भी भगवान शिव की तंत्र साधना कवच से ढका हुआ है. रात के समय इस मंदिर में या इसके आस पास रुकने की इजाजत नहीं है. मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान शिव की योगिनियों को जागृत किया जाता था. यहां पर विशेष तांत्रिक अनुष्ठानों के दौरान मंत्रोच्चारण, यंत्र स्थापना, और हवन किए जाते थे. योगिनियों की पूजा विशेष प्रकार के मंत्रों और विधियों के साथ की जाती थी. इन साधनाओं से साधक को अद्भुत शक्तियों की प्राप्ति होती थी.