अविवादित नामांतरण प्रकरणों के निराकरण के लिये जिले में तहसील स्तर पर प्रत्येक माह दो शिविरों का आयोजन करने के निर्देश कलेक्टर दीपक सक्सेना ने राजस्व अधिकारियों को दिये हैं । श्री सक्सेना ने इस बारे में आदेश जारी कर कहा है कि तहसील स्तर पर पहला शिविर माह की 5 एवं 6 तारीख को तथा दूसरा शिविर 20 एवं 21 तारीख को लगाया जाये।
नामांतरण के अविवादित प्रकरणों के निराकरण के लिये शिविरों के आयोजन के बारे में कलेक्टर श्री सक्सेना ने विस्तृत दिशा-निर्देश भी जारी किये हैं। जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार निराकरण हेतु चिन्हित अविवादित नामांतरण के प्रकरणों की सूची अनुविभागीय राजस्व अधिकारियों द्वारा तैयार की जायेगी। सूची में गत माह की 1 तारीख से लेकर 15 तारीख तक तथा 16 तारीख से 31 तारीख तक दर्ज हुये अविवादित नामांतरण के प्रकरण शामिल किये जायेंगे। अविवादित नामांतरण के प्रकरणों के लिये लगाये जाने वाले शिविरों की शुरुआत 5 जुलाई से होगी। ये शिविर शनिवार एवं रविवार के दिन भी आयोजित किये जायेंगे। यदि शिविर की तय तारीख सार्वजनिक अवकाश के दिन आती है तो शिविर का आयोजन अगले कार्य दिवस में किया जायेगा।
अविवादित नामांतरण प्रकरणों के हेतु शिविरों के आयोजन के लिये तय दिशा-निर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि शिविर में निराकरण के लिए चिह्नांकित अविवादित नामांतरण प्रकरणों की अनुविभागीय राजस्व अधिकारियों को निर्धारित प्रारूप में तैयार सूची को पीडीएफ फाइल में सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर भी जारी किया जायेगा तथा चिह्नांकित सूची में प्रकरण प्रदर्शित नहीं होने के संबंध में आपत्ति प्रस्तुत की जा सकेगी। आपत्ति का निराकरण अनुविभागीय राजस्व अधिकारी को ही करना होगा।
नामांतरण के अविवादित प्रकरणों के निराकरण के लिये आयोजित किये जाने शिविरों में रजिस्टर्ड विक्रय पत्र के आधार पर नामांतरण, फौती आधार पर नामांतरण एवं साइबर तहसील में दर्ज नामांतरण प्रकरणों को शामिल किया जायेगा। रजिस्टर्ड विक्रय पत्र के आधार पर नामांतरण वाले प्रकरण में अधिकतम एक लिंक रजिस्ट्री और अधिकतम पाँच वर्ष पुराने प्रकरण विचारण में लिये जायेंगे। लिंक रजिस्ट्री के इतर प्रकरण निरस्त किए जाएंगे। इतर प्रकरण सक्षम न्यायालय से टाइटल डीड स्वीकृत होने की स्थिति में ही विचारण में लिये जा सकेंगे।
जिले में कूट रचना कर फर्जी रजिस्ट्री तैयार करने के सामने आये प्रकरण को देखते हुये शिविर में केवल वही प्रकरण निराकरण हेतु लिये जायेंगे, जिनमें मूल रजिस्ट्री अवलोकन के लिए प्रस्तुत की जायेगी। मूल रजिस्ट्री प्रस्तुत करने के लिए क्रेता का उपस्थित होना जरूरी नहीं होगा। मूल रजिस्ट्री, क्रेता के अधिकृत प्रतिनिधि द्वारा भी प्रस्तुत की जा सकेगी।
आरसीएमएस, आईजीआरएस पोर्टल और एमपी ऑनलाइन पोर्टल से दर्ज नामांतरण के प्रकरणों में मूल दस्तावेज की फोटोकॉपी शिविर तिथि से कम से कम पाँच दिवस पूर्व प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा । मूल दस्तावेज की फोटोकॉपी प्रस्तुत नहीं होने अथवा विलंब से प्रस्तुत होने की स्थिति में ऐसे प्रकरणों को अगले शिविर में सुनवाई में लिया जायेगा । लगातार तीन सुनवाई तक मूल दस्तावेज की फोटोकॉपी प्रस्तुत नहीं करने पर प्रकरण को निरस्त कर दिया जायेगा। हालाकि कालांतर में मूल दस्तावेज की फोटो कॉपी प्रस्तुत होने पर प्रकरण को पुनः सुनवाई में लिया जाकर नियमानुसार निर्णय पारित किया जायेगा।
फौती नामांतरण के लिए आवेदकगण को शपथपत्र पर “वंशावली/सिजरा” प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। “वंशावली/सिजरा” में बहनों अथवा अन्य विधिक वारिसान के नाम शामिल नहीं करने को धोखाधड़ी माना जायेगा और बिना किसी अपवाद के आपराधिक प्रकरण दर्ज कराया जायेगा।
कलेक्टर श्री सक्सेना द्वारा शिविरों को लेकर जारी दिशा-निर्देशों में आवेदकों से भी अपेक्षा की गई है कि वे स्थानीय निकाय और पटवारी की रिपोर्ट तथा पंचनामा शिविर तिथि से तीन दिन पूर्व प्रकरण में प्रस्तुत करवा दें। पटवारी और स्थानीय निकाय इस विषय में वादी को पूर्ण सहयोग करेंगे। दिशा-निर्देशों में यह भी स्पष्ट किया गया है कि शिविर तिथि को स्थानीय निकाय और पटवारी की रिपोर्ट तथा पंचनामा न होने की वजह से प्रकरण निरस्त नहीं किए जाएँगे, बल्कि उसी दिन ये दस्तावेज तैयार किये जाकर प्रकरण को निराकृत किया जायेगा।
श्री सक्सेना द्वारा जारी निर्देशों में साफ कहा गया है कि शिविर में नामांतरण होते ही खसरा और नक्शा को अद्यतन किया जायेगा तथा आवेदक को खसरा और नक्शा की प्रति शाम 4 बजे से शिविर स्थल पर ही वितरित की जायेगी। शिविरों के संबन्ध में जारी दिशा-निर्देशों में यह भी स्पष्ट किया गया है कि ऋण पुस्तिका प्राप्त करने के लिये लोक सेवा केन्द्र पर निर्धारित शुल्क जमा कर पृथक से आवेदन जमा करना जरूरी होगा। आवेदन जमा करने पर आवेदकों को शिविर के अंतिम दिन अर्थात 6 अथवा 21 तारीख को ऋण पुस्तिका प्रदान की जायेगी । दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि शिविर के बाद प्रकरणों के निराकरण के बारे में जानकारी अनुविभागीय राजस्व अधिकारियों को निर्धारित प्रारूप में जारी करनी होगी।