रिपोर्टर हेमन्त सिंह
कटनी। सिद्धपीठ जालपा माता मंदिर में प्रसिद्ध कथा व्यास किशोरी वैष्णवी गर्ग जी ने यह संसार दुख का सागर है। यहां ना अमीर सुखी है और ना ही गरीब सुखी है, जिसने परमात्मा को मन में बसा लिया उसे परम सुखी की प्राप्ती होती है। उक्त कथन जालपा माता मंदिर में पांडे परिवार की ओर से आयोजित श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह के पांचवें दिन कथा वाचक किशोरी वैष्णवी गर्ग जी ने व्यक्त किए।
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किशोरी जी ने अपने मुखारविन्द से श्रीमद भागवत कथा का वाचन करते हुए कहा कि इस संसार में कोई किसी का नहीं होता, परमात्मा से नाता जोड कर ही इस भवसागर से पार पाया जा सकता है। उन्होने- ना घर तेरा ना घर मेरा, यह तो चिडिया रेन बसेरा एक दिन उड जाना है, दोहे की व्याख्या करते हुए कहा कि हरि नाम का सुमरिन करने के लिए कल का इंतजार नहीं करना चाहिए, जीवन में सुख-दुख की लहर आती जाती रहती है। इसलिए प्रभु भक्ति में लिन रहते हुए अपने दुखों को भुल जाना चाहिए।
व्यासपीठ से पाण्डाल में उपस्थित श्रद्धालुओं में राष्ट्र भक्ति की अलख जलाते हुए कहा कि जो व्यक्ति राष्ट्र, समाज, परिवार के उत्थान का चिंतन नहीं करता वह जिंदा पशु के समान होता है।
किशोरी जी ने पांचवे दिन भगवान श्रीकृष्ण की बाल लिलाओं का वृतांत सुनाया। इन्ही में से एक गोवर्धन पूजा के प्रसंग के दौरान उन्होने बताया कि किसी प्रकार भगवान श्रीकृष्ण ने भगवान इन्द्र के घमण्ड को चूर करने के लिए बृजवासियों को गिरिराज की पूजा करने के लिए प्रेरित किया और इन्द्र के प्रकोप से बचाने के लिए अपनी ऊंगली पर गिरिराज को धारण कर समस्त बृजवासियों को बचाया। संगीतमय कथा वाचन के दौरान पाण्डाल में उपस्थित सैंकडों की संख्या में श्रद्धालु भाव विभोर हो कर नृत्य करने के साथ् झूमने लगे।
कथा आयोजन के दौरान आयोजक परिवार के मुख्य यजमान पंडित महेश पांडे,श्रीमति अर्चना राकेश पांडे, श्रीमति रीना रोहित पांडे एवं समस्त पांडे परिवार ने आप सभी से कथा श्रवण करने की अपील की है उपस्थित श्रद्धालुओं द्वारा बाल श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना कर छप्पन प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया गया। कथा के अंत में महाआरती के पश्चात प्रसाद वितरण किया गया।
कथा आयोजक पंडित महेश पांडे जी ने बताया कि श्रीमद भागवत कथा आयोजन के छठे दिन बुधवार को श्रीकृष्ण एवं रूक्मणी विवाह प्रसंग की जीवंत झांकी के साथ कथा का वाचन किया जाएगा ।