कलेक्टर सोनिया मीना ने गुरुवार को रबी वर्ष 2023-24 की फसलों की तथा खरीफ 2024 के फसलों की समीक्षा की। समीक्षा के दौरान उन्होंने संबंधित अधिकारी को निर्देश दिए कि वह कस्टम हायरिंग सेंटर से किसानों को उन्नत कृषि यंत्र उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें। उन्होंने निर्देश दिए की डबल लॉक से यूरिया का उठाव कर समितियों के माध्यम से किसानों को देना सुनिश्चित किया जाए। खरीफ फसलों की समीक्षा के दौरान अधिकारियों ने बताया कि नर्मदापुरम जिले में 2023 में धान, ज्वार, मक्का, कोदो कुटकी, अरहर, उड़द मूंग, सोयाबीन, मूंगफली, तिल कुल 3 लाख 15 हजार 255 हेक्टेयर में बोया गया था। इस वर्ष भी लगभग इतने ही क्षेत्र में बोअनी की जाएगी।
उपसंचालक कृषि जेआर हेडाउ ने बताया कि जिले में मोटे धान का क्षेत्र लगातार कम होते जा रहा है इसके बजाय किसान बासमती धान लगा रहे हैं, किसानों का रुझान बासमती की ओर बढ़ रहा है। गत वर्ष 2.50 लाख मैट्रिक टन धान का उपार्जन हुआ था। किसानों को डीएसआर एवं सुपर सीडर का उपयोग धान की फसल की बोअनी में किए जाने हेतु जागरूक किया जा रहा है। जिले में तीनों मौसम में फसले ली जाती है। अतः धान की कम अवधि में पकने वाली किस्म जैसे पीबी 1509, जेआर 206, पीबी 1718, सीओ 51 का उपयोग एवं नरवाई प्रबंधन के उचित नियंत्रण हेतु कृषकों को सुपर सीडर कृषि यंत्र से बोअनी करने के लिए समझाइए दी जा रही है। उन्होंने बताया कि किसानों का रुझान मूंग की फसल की ओर भी है, क्योंकि यह 60 दिन में तैयार हो जाती है। सोयाबीन 100 दिन, धान 120 से 140 दिन में पककर तैयार होती है। इसलिए भी किसानो का रुझान मूंग की ओर अधिक है। उन्होंने बताया कि मिट्टी का सैंपल परीक्षण के लिए लैब मैं भेजा जाता है।
कलेक्टर ने कहा कि मिट्टी के जो भी सैंपल भेजे जाएं उसकी रिपोर्ट जल्दी आ जाए, कलेक्टर ने कहा कि मिट्टी का एक सैंपल कृषि महाविद्यालय की लैब में भी परीक्षण के लिए भेजा जाए। उन्होंने धान, सोयाबीन, गेहूं की क्राफ्ट के आंकड़े उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। बताया गया की ज्वार, मक्का केसला में, अरहर पिपरिया एवं बनखेड़ी में, उड़द केसला सोहागपुर में बोया जाता है। बैक वाटर एवं मिट्टी की अच्छी कंडीशन होने के कारण यह फसले यहां पर प्रचुर मात्रा में उत्पादित होती है।
यूरिया एवं फर्टिलाइजर की समीक्षा के दौरान बताया गया कि वर्तमान में जिले में 12 हजार मेट्रिक टन यूरिया उपलब्ध है, जो समितियों के माध्यम से किसानों को देना शुरू किया जाएगा। कलेक्टर ने कहा कि वितरण में अनावश्यक देरी न हो।
बताया गया कि अब तक 18 हजार मिट्टी के सैंपल लैब में परीक्षण के लिए भेजे गए हैं। स्कूल के बच्चों से भी मिट्टी के सैंपल कलेक्ट करवाए गए थे।
मक्का की तीन वैरायटी जिले में लगाई जाती है, ड्रिप स्प्रिंकलर का उपयोग छोटी जोत के किसान कर रहे हैं। ऑनलाइन लॉटरी के माध्यम से ड्रीप स्प्रिंकलर दिया जाता है। जिले में कपास का उत्पादन नहीं होता है। यहां पर इसकी खेती नहीं की जाती। इंटर क्रॉप का चलन भी किसानों में बहुतायत है। गन्ना, गेहूं सोयाबीन, इंटर क्रॉप के द्वारा लिए जा रहे हैं। जिले में किसानों को नरवाई ना जलाने की समझाइए कृषि विभाग द्वारा समय-समय पर दी जाती है।
यदि कोई किसान कस्टम हायरिंग केंद्र स्थापित करना चाहता है तो उसे पूरी सहायता दी जाती है। उसे एक ट्रैक्टर और पांच उन्नत कृषि यंत्र दिए जाते हैं। जिसके माध्यम से वह खुद की खेती में इनका उपयोग करने के साथ ही कृषि यंत्र को किराए पर भी दे सकते है। ड्रोन के माध्यम से खेतों में कीटनाशकों का छिड़काव किया जा रहा है। अब तक 400 किसानों को ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण प्राप्त किसानों को लाइसेंस भी दिया जाता है। ड्रोन का प्रभाव अच्छा पड़ता है, एक एकड़ में 10 लीटर पानी एवं पेस्टिसाइड लगता है। ड्रोन 22 किलो तक का भार उठा सकता है।
बताया गया कि इस बार मक्का का एरिया बढ़ाने का विशेष प्रयास किया जाएगा। उडद की क्रॉप को प्रमोट करने का भी प्रयास किया जाएगा। सफेद एवं काला तिल की उन्नत वैरायटी जिले में उपलब्ध है। इसका भी प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। हर वर्ष एक हजार किसानों को नई टेक्नोलॉजी का प्रशिक्षण दिया जाता है।
बैठक में बताया गया कि सरसों की फसल को 500 हेक्टेयर में प्रमोट किया गया है। मॉडल सोयाबीन विलेज के तहत सोयाबीन एवं तिल को प्रमोट किया जा रहा है। 80 से 200 एकड़ में तिल एवं सरसों की क्राफ्ट लेने का प्रयास किया जा रहा है। किसानों को अलग-अलग प्रकार की सोयाबीन की वैरायटी के बारे में कराया गया है ।
कलेक्टर ने फसल बीमा की स्थिति की जानकारी ली, उन्होंने कहा की फसल बीमा में क्लेम करने वाले किसानों को उनका क्लेम तत्परता से मिल जाए। समीक्षा के दौरान बताया गया कि बैंक की वसूली 45% है, और वर्तमान में 56 करोड रुपए की वसूली किया जाना शेष है। ब्याज माफी योजना एवं डबल लांक में यूरिया की उपलब्धता के संबंध में कलेक्टर ने समीक्षा की।
बताया गया की स्वाइल हेल्थ कार्ड के आधार पर उर्वरक अनुशंसा प्रत्येक विकासखंड के कम से कम 10-10 गांव में एसएचसी के आधार पर उर्वरकों के उपयोग पर विशेष अभियान अंतर्गत जिले के 210 ग्रामों का चयन कर उक्त ग्रामों में प्रशिक्षण पाठशाला संगोष्ठी चौपाल के द्वारा किसानों को जागरूक किया जा रहा है। फसल विविधीकरण हेतु प्राकृतिक खेती एवं जैविक खेती को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं। खरीफ फसलों में रेज्ड बेड प्लांटर का उपयोग सोयाबीन एवं दलहनी फसलों की रिच फरो से किए जाने हेतु किसानो को मैदानी कार्यकर्ताओं के माध्यम से जागरूक किया जा रहा है।
कलेक्टर ने समीक्षा के दौरान मत्स्य समितियों की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए और कहां की मत्स्य किसानों को प्राथमिकता से केसीसी जारी हो जाए। कलेक्टर ने बीज प्रमाणीकरण के संबंध में निर्देश दिए कि कृषि विभाग एक सूची बनाकर यह सत्यापित करें कि जिले में किस फसल की बीज की कितनी डिमांड है।
पशुपालन विभाग के उपसंचालक ने बताया कि जिले में नौ जगह मिल्क पार्लर स्थापित करने की स्वीकृति प्राप्त हुई है। चार जगह मिल्क पार्लर बनना शुरू हो गया है। कलेक्टर ने किसान क्रेडिट कार्ड, आचार्य विद्यासागर योजना, अनुदान पर बकरी पालन योजना एवं पशुओं में शत प्रतिशत वैक्सीनेशन के संबंध में आवश्यक निर्देश दिए। बताया गया की 47 गौशाला में से 36 गौशाला पूर्ण हो चुकी है। 11 गौशाला अपूर्ण है। पूर्ण गौशाला अभी हैंडोवर नहीं हुई है इसलिए वहां पर पशुओं का रखरखाव नहीं हो रहा है।
बैठक में उपसंचालक कृषि जेआर हेडाउ, कृषि अनुसंधान केंद्र के डॉक्टर अवनीश चटर्जी, कृषि विज्ञान केंद्र गोविंद नगर के डॉक्टर संजीव गर्ग, प्रभारी उपायुक्त सहकारिता शिवम मिश्रा, उपसंचालक उद्यानिकी रीता उइके, जिला मत्स्य अधिकारी वीरेंद्र चौहान सहित संबंधित अधिकारी गण मौजूद रहे।