जिला स्तर पर बाढ़ एवं अतिवृष्टि की स्थिति में विभिन्न विभागों द्वारा बाढ़ से पूर्व समस्त आवश्यक तैयारियों करना सुनिश्चित किया जाए। कलेक्टर सोनिया मीना ने इस संबंध में सर्वसंबंधितो को शासन स्तर से जारी निर्देशों का कड़ाई से पालन करने के निर्देश देते हुए प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
कलेक्टर सुश्री मीना ने जिलास्तर पर बाढ एवं अतिवृष्टि की स्थिति में विभिन्न विभागों द्वारा बाढ पूर्व तैयारियों हेतु की जाने वाली कार्यवाहियों को चिन्हांकित करने के निर्देश देते हुए जिलास्तर पर जिलास्तरीय कन्ट्रोल रूम (District Command and Control Center) 15 जून 2024 से मानसून की वर्षा प्रारंभ होते ही 24X7 सक्रिय करने, District Command and Control Center के माध्यम से State Command and Control Center एवं वल्लभ भवन सिचुऐशन रूम को आपदा की स्थिति में आवश्यक सूचनाओं से अवगत कराए जाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उन्होंने बताया कि संपर्क हेतु वल्लभ भवन सिचुएशन रूम (VBSR) दूरभाष क्रमांक 0755- 2708055 है। जनहानि, पशुहानि, फसल क्षति, मकान क्षति, संचालित अस्थायी राहत शिविर आदि समस्त प्रकार की क्षति संबंधी जानकारी राहत आयुक्त कार्यालय के ई-मेल पते reliefcom@mp.nic.in पर प्रेषित की जाये। साथ ही DWRS पोर्टल https://aapdasuraksha.mp.gov.in पर दैनिक रूप से अद्यतन की जाये।
जिलास्तरीय कन्ट्रोल रूम (District Command and Control Center) 24X7 घंटे कार्यरत रखा जाये और बाढ की स्थिति की जानकारी वल्लभ भवन सिचुएशन रूम (VBSR) तथा सेना के सब एरिया कमाण्डर भोपाल को दी जाए। राज्य स्तर के कन्ट्रोल रूम को वर्षा की स्थिति से लगातार अवगत कराया जाये। कंट्रोल रूम में ड्यूटी पर जो कर्मचारी हो उसको बाढ संबंधी जानकारी से पूर्णतः अवगत होना चाहिये, ताकि मांगे जाने पर अद्यतन जानकारी प्रदाय कर सके। बाढ संबंधी प्रतिवेदनों की अद्यतन जानकारी की एक प्रति कंट्रोल रूम में रखी जावे जिससे आवश्यक होने पर जानकारी प्राप्त की जा सके। जिले में स्थापित वर्षा मापक केन्द्र द्वारा दैनिक वर्षा की जानकारी निदेशक, मौसम केन्द्र, अरेरा हिल्स जेल रोड भोपाल के फैक्स क्रमांक 0755-2552743 व ई-मेल mausambhopal@rediffmail.com/ getechnicalsection@gmail.com पर भेजें। साथ ही जानकारी DWRS पोर्टल पर दैनिक रूप से अद्यतन की जाये। ऐसे क्षेत्र जहां अक्सर बाढ का प्रकोप होता है, इन क्षेत्रों की निगरानी की विशेष व्यवस्था की जाये साथ ही वहां के लोगों को आवश्यकता पडने पर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने व उनको ठहराने के लिये कैम्प आदि के लिये स्थानों की पहचान के साथ संपूर्ण योजना भी तैयार कर ली जाये। ऐसे क्षेत्र के लोगों को बाढ से बचाव बचने की जानकारी देते हुए प्रशिक्षित भी किया जाये। इस कार्य में पंचायतों, नगरपालिका, स्कूल शिक्षा विभाग आदि एवं कोई स्थानीय स्वयंसेवी संस्था हो तो उन्हें भी जोड़ा जाये। जिलों में जो भी बाढ बचाव उपकरण उपलब्ध हैं, उनकी दुरुस्ती आदि करवाकर यह सुनिश्चित कर लिया जाये कि आवश्यकता पड़ने पर उनका तुरन्त उपयोग किया जा सके। समीपस्थ जिलों में उपलब्ध सामग्री को भी सूचीबद्ध किया जाये। बाढ़ की स्थिति में सर्वप्रथम आपको निकटस्थ उपलब्ध सामग्री वाले जिले से सम्पर्क कर बोट व अन्य उपकरण तथा उनके साथ प्रशिक्षित जवानों की टुकडी मंगवाना चाहिये ताकि बाढ़ बचाव राहत का कार्य तुरन्त प्रारम्भ हो सके। जिन जिलों में मोटर बोट्स उपलब्ध है की जानकारी तत्काल राहत आयुक्त कार्यालय एवं महानिदेशक (होमगार्ड), गृह विभाग को भेजें। कृपया यह सुनिश्चित करें कि मांग आने पर बोट प्रशिक्षित चालक तथा प्रशिक्षित जवान तुरन्त रवाना किये जा सकें। भारत सरकार, गृह मंत्रालय के India Disaster Resource Network (IDRN) पोर्टल पर बाढ राहत सामग्री की जानकारी अनिवार्यतः अद्यतन करें। बाढ की स्थिति में आवश्यकतानुसार पुलिस बल एवं होमगार्ड की मदद ली जाये, और इसके बाद की स्थिति में सेना की मदद लेने का निर्णय सामान्यतः संभागीय कमिश्नर से विचार विमर्श के बाद लिया जाये। इसकी तत्काल सूचना प्रमुख सचिव, राजस्व तथा राहत आयुक्त को व्यक्तिगत रूप से टेलीफोन पर दी जाये। बाढ़ उन्मुख जिलों के कलेक्टरों को सेना के निकटस्थ छावनी के अधिकारियों से वर्षा ऋतु में निरंतर संपर्क बनाए रखना चाहिए, ताकि बाढ बचाव कार्य में सेना की सहायता अविलम्ब उपलब्ध हो सके। जिले में सिविल डिफेंस की यूनिट है या नहीं, यदि है तो उनके पास क्या उपकरण आदि हैं। बाढ या अन्य आपदा में यह Organized Force बहुत मदद कर सकती है। बाढ की स्थिति निर्मित होने पर स्थानीय लोगों को सचेत करने के लिए जनसंपर्क माध्यमों का उपयोग किया जाना चाहिये। जहां संभव हो दूरदर्शन तथा आकाशवाणी का भी इस संबंध में सहयोग लिया जाना चाहिये। ऐसे क्षेत्र जहां अक्सर बाढ आती है, वहां के लोगों के लिए बाढ़ के समय रहने के लिए निकटस्थ सुरक्षित स्थानों को चिन्हांकित कर लिया जाये। जिन क्षेत्रो से बडी नदी बहती है वे जिले नदी के जलस्तर पर बराबर नजर रखें और जलस्तर के खतरे के निशान पर पहुंचने की संभावना होने पर इसकी सूचना राज्यस्तर कंट्रोल रूम (VBSR) तथा निचले जिलों को लगातार देने की व्यवस्था करें। जलाशयों से जल छोडने पर विशेष ध्यान रखा जाए। जलाशयों में नियंत्रित रूप से जल निकासी के प्रयास किये जायें, ताकि बाढ की स्थिति को और बिगडने से रोका जा सके। यह सुनिश्चित कर लिया जाये कि दुर्गम क्षेत्रों में जहां बाढ़ की स्थिति में नहीं पहुंचा जा सकता है, पर्याप्त मात्रा में खाद्य सामग्री, पेयजल व्यवस्था व जीवन रक्षक दवाईयां आदि उपलब्ध हों। ऐसे क्षेत्रों में जहां अक्सर बाढ़ आती है, वहां बाढ़ के पानी के घिर जाने वाले क्षेत्रों में पेयजल उपलब्ध कराने हेतु उपलब्ध पेयजल स्त्रोतों को चिन्हांकित कर लिया जाए और आवश्यकता पडने पर ऐसे स्त्रोत से समस्याग्रस्त क्षेत्र तक पेयजल पहुंचाने हेतु एक कार्य योजना भी तैयार रखी जाए। जिलों में स्थापित जिला कमाण्ड कंट्रोल सेंटर के माध्यम से वल्लभ भवन सिचुऐशन रूम (VBSR) एवं स्टेट कमाण्ड कंट्रोल सेंटर से सतत् समन्वय स्थापित कर आपदा की स्थिति में राहत एवं बचाव कार्यों के संबंध में आवश्यक रूप से अवगत कराया जाये। बाढ से हुई हानि/नुकसानी की जानकारी नियमित रूप से भारत शासन गृह मंत्रालय के कंट्रोल रूम (फोन नंबर 011-23093563,64 तथा राहत आयुक्त कार्यालय कन्ट्रोल रूम दूरभाष क्रमांक 0755-2441419 पर एवं समय-समय पर जारी निर्देशों के साथ प्रेषित प्रपत्रों में दी जावे।
बाढ़ की कार्ययोजना में संलग्न इन्वेन्ट्री को अद्यतन करने के निर्देश भी दिए गए थे। बाढ़ नियंत्रण हेतु जिले में उपलब्ध शासकीय, अशासकीय एवं निजी स्त्रोंतो से उपलब्ध हो सकने वाली समस्त बाढ़ बचाव सामग्री जैसे मोटर बोट्स, नावें आदि की सूची तथा यह सामग्री जिसके आधिपत्य में है उनसे संपर्क हेतु नाम, पते, दूरंभाष क्रमांक, फैक्स क्रमांक की जानकारी प्राथमिकता के आधार पर तैयारी कर ली जाये। प्रशिक्षित चालकों एवं गोताखोरों के नाम और पते की अद्यतन सूची भी तत्काल तैयार करा ली जाये। प्रत्येक जिले को अपने क्षेत्र के अंतर्गत बहने वाली नदी एवं नालों के खतरे के जल स्तर (Danger Level) को चिन्हांकित करते हुए, खतरे के निशान से जलस्तर अधिक होने पर स्थिति में किये जाने वाले कार्यों को निर्धारित कर, सूचीबद्ध करें। साथ ही नदी नालों/नालियों की सफाई एवं मलबा निकालने का कार्य कर लिया जाये तथा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि पानी की निकासी व्यवस्थित हो एवं पानी जमा न हो। नगरीय क्षेत्रों में ऐसी बस्तियां जो नदी नालों के किनारे तथा निचले क्षेत्रों में अनाधिकृत रूप से बसी है तथा बाढ़ से जल स्तर बढ़ने पर बाढ़ आने की संभावना है ऐसी बस्तियों को अन्यत्र वैकल्पिक स्थान पर बसाने की कार्यवाही की जाये। बाढ़ एवं अतिवृष्टि के समय जलमग्न सडकें एवं पुलियों पर से राज्य परिवहन एवं अन्य परिवहन के वाहन चालक अपने जोखिम पर पुल/पुलियाँ पार करने का प्रयास करते हैं तथा कई अवसरों पर गंभीर दुर्घटना की स्थिति निर्मित होती है, अतएव ऐसे स्थलों को चिन्हांकित कर चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं तथा बैरियर स्थापित किये जाये। दोषी वाहन चालाकों के विरूद्ध समुचित कार्यवाही की जाये। बाढ से बचाव एवं राहत हेतु जिला स्तर पर एक्शन प्लान तैयार कर लिया जाये तथा बाढ़ या अतिवृष्टि से उत्पन्न स्थिति में एक्शन प्लान के अनुसार पूरी सजगता एवं तत्परता से कार्यवाही की जाए।
कलेक्टर सोनिया मीना ने सर्व संबंधितो को निर्देशित किया है कि वे उक्त बिन्दुओ में शीघ्र कार्यवाही करें एवं की गई कार्यवाही से अतिशीघ्र अवगत कराएं।
Department of Urban Development & Housing MP
Department of Public Health Engineering, Madhya Pradesh
Home Department of Madhya Pradesh
Jansampark Madhya Pradesh