मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव शुक्रवार को भगवान परशुराम जी की जन्मस्थली जानापाव पहुंचे। जहां उन्होंने पूजा-अर्चना करते हुए उनका आशीर्वाद प्राप्त किया और प्रदेश की समृद्धि की कामना की।
इस मौके पर उनके साथ भाजपा प्रदेशाध्यक्ष श्री वीडी शर्मा भी उपस्थित थे। पूजा के बाद मुख्यमंत्री डॉ यादव ने जनसभा को सम्बोधित किया। उन्होंने जानापाव की धरती का महत्व बताते हुए कहा कि भगवान परशुराम की इस पावन धरा को हम विश्व के पटल पर पूरे गौरव के साथ प्रस्तुत करेंगे। यहां परशुराम जी का जन्म हुआ, साथ ही इस भूमि पर भगवान श्रीकृष्ण का भी आगमन हुआ। परशुराम जी ने भगवान श्री कृष्ण को उनका सबसे बड़ा अस्त्र श्री सुदर्शन चक्र यहीं पर दिया था। इन दो प्रमुख कारणों से इस स्थान का महत्व बढ़ जाता है।
सभा को संबोधित करते हुए डॉ यादव ने बताया कि जब भगवान श्रीकृष्ण अपने गुरु सांदीपनि की आज्ञा से परशुराम जी के पास युद्ध के लिए अस्त्र लेने पहुंचे तो उन्होंने कहा, ‘तुम्हें आने में देरी हो गई कृष्ण’। अब मेरे पास कोई अस्त्र नहीं है लेकिन हां एक चक्र है, जिसका नाम सुदर्शन, है। मैं तुम्हें वो प्रदान करता हूं। इस प्रकार श्रीकृष्ण को उनका प्रमुख अस्त्र सुदर्शन चक्र प्राप्त हुआ था। यह हमारे लिए बहुत गौरव की बात है कि हमारे मप्र में ऐसे कई स्थान हैं, जो हमारी सांस्कृतिक धरोहरें हैं। हमें इन्हें संरक्षित करने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण ने धर्म की स्थापना के लिए अवतार लिया और अधर्म का नाश किया। इस प्रकार भगवान परशुराम ने भी अवतार लेकर श्रेष्ठ गुरु आज्ञाकारी पुत्र, साधक और महान दानवीर होने का उदाहरण समाज के सामने प्रस्तुत किया।
मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण अपने बड़े भाई बलराम जी के साथ जानापाव पहुंचे थे। बलराम जी बहुत बलशाली थे। जब श्रीकृष्ण ने उनसे कहा आप यह चक्र उठा लीजिए। परशुराम जी ने तब श्रीकृष्ण से कहा कि यह चक्र योगबल से उठता है। इसलिए तुम ही इसे धारण कर सकते हो। तुमसे ज्यादा योगबल इस सृष्टि में किसी और के पास नहीं है. इसलिए तुम्हें ही इसे उठाना होगा। भगवान श्रीकृष्ण ने जीवनपर्यंत परशुराम जी का प्रसाद समझ कर सुदर्शन चक्र छोटी अंगुली पर धारण करके रखा।