रिपोर्टर: हेमंत सिंह
कटनी विजयराघवगढ़/डायर सलैया. जिले में खनिज विभाग हो या पर्यावरण विभाग की कृपा देखनी हो तो पड़खुड़ी गांव के आगे खनिज क्षेत्रों का भ्रमण जरूर करें यहां दोनों ही विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की कृपा की बारिश मूसलाधार हो रही है। जिसे देख आप भी कहने मजबूर हो जाएंगे की ऐसी कृपा भगवान हम पर भी बरसा दे।
बताते चलें की ग्रामीण खनिज क्षेत्र में कई गिट्टी क्रेशर संचालित है जिनको देखने मात्र से ऐसा प्रतीत होता है इन प्लांटों को विभागों ने खुली छूट दे रखी हैं जिससे ये नियम कायदों की खुले आम धज्जियां उड़ा रहें।
अगर हम पर्यावरण विभाग के नीति – नियमों से इन क्रेसर प्लांटों को जोड़कर देखे तो शायद ही इनका संचालन संभव हो और अगर खनिज विभाग की गाइडलाइन देखे तो इनका संचालन अवैध साबित हो सकता है। इसके बावजूद इन क्रेशर प्लांटों का संचालन समझ से परे हैं। उल्लेखनीय है की विगत दिनों ही दैनिक उज्ज्वल समाचार पत्र ने क्रेशर संचालन से “जनजीवन प्रभावित” खबर का प्रकाशन किया था।
*क्रेशर संचालन के ये है मानक,*नियम*…
स्टोन क्रेशर हाइवे से 500मीटर दूर होना चाहिए, और आबादी , सार्वजनिक स्थल से 1 किलो मीटर दूरी होनी चाहिए, क्रेशर टीन शेड से ढका हुआ हो, प्रतिदिन पानी से छिड़काव, ग्रीन लैंड,10 फिट ऊंची दीवार के साथ साथ क्रेशर के अंदर पक्की सड़क आदि शामिल हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी मिलने पर ही इनका संचालन होता हैं। इनके संचालन से आस पास के गांव के रहवासियों के स्वाथ्य पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ रहा है इससे उड़ने वाली धूल फेफड़ों को खराब कर रही है। ओवर लोड वाहनों की धमाचौकड़ी से भी लगातार धूल से कई अंगों को भी नुकसान पहुंच रहा है।
कलेक्टर साहब पर टिकी है निगाहें
जिले के संवेदनशील कलेक्टर श्री अवि प्रसाद बेहद कड़क अंदाज के लिए जाने जाते है और ऐसे में ग्रामीणों के जीवन और पर्यावरण संरक्षण के लिए क्रेशर प्लांटो पर कार्यवाही की उम्मीद अब उन्हीं से लगाई जा सकती है।
छोटी से छोटी चीज को संज्ञान मे ले कर कार्रवाही करते है कलेक्टर अविप्रसाद