बाल्यावस्था की विभिन्न अवस्थाओं पर बच्चों की आवश्यकताओं की पहचान करने के लिए विशेष रूप से निर्धन और निम्न आय वर्ग की परिवारों में बच्चों के स्वास्थय और विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका के विषय में आंगनवाड़ी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शिशुओं के प्रसवपूर्व और प्रसवोत्तर स्वास्थय, बाल पोषण विद्यालय शिक्षा तथा बच्चों के टीकाकरण, छोटे बच्चों की पोषण और स्वास्थय आवश्यकताओं की पूर्ति तथा 6 वर्ष तक की आयु के बच्चों, किशोर युवतियों, गर्भवती महिलाओं तथा शिशुओं की देखरेख करने वाली माताओं की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए एकीकृत बाल विकास सेवाएँ के कार्यक्रम के रूप में ग्राम स्तर पर सरकार द्वारा समर्थित एक केंद्र होता है।
परंतु कटनी जिले रीठी महिला एवं बाल विकास विभाग खुद कुपोषण का शिकार है। कैमरे पर न आने की शर्त पर परियोजना प्रभारी अधिकारी गीता कोरी ने बताया कि,रीठी क्षेत्र मैं कुल 219 आंगनबाड़ी केंद्र, 8 सेक्टर और 6 सुपरवाइजर है जिसमे 4 ही पदस्थ हैं। आंगनबाड़ी केंद्र खुलने का समय सुबह 10 बजे से 4 बजे तक तथा कार्यालय का समय सुबह 10बजे से शाम 6 बजे तक निर्धारित किया गया है। उसके बाबजूद भी कार्यालय को चपरासी द्वारा समय पर खोला तो जाता है,पर कार्यालय की अहम भूमिका निभाने वाले कर्मचारी, अप/डाउन, की रस्म निभाते हुए अपनी मर्जी अनुसार पहुंचते हैं। या फिर फील्ड का बहाना करके कार्यालय पहुंचते ही नहीं ।तो आप ही सोच सकते हैं कि क्षेत्र मैं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायका समय पर केसे केंद्र पहुंचती होगी । जिसकी वजह से
शासन द्वारा चलाई जा रही गतिविधियों व कार्यक्रम जैसे गोदभराई, अन्नप्राशन, जन्म दिवस, किशोरी बालिका आदि का संचालन विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के चलते योजनाओं का लाभ गांव की महिलाओं व किशोरियों को केसे मिल पा रहा होगा है।
रीठी महिला एवं बाल विकास विभाग में पदस्थ अधिकारी- कर्मचारी मुख्यालय में न रहकर अप डाउन संस्कृति का पालन कर रहे हैं जिससे उन्हें काम से अधिक घर वापिसी की चिंता ज्यादा होती है।
खास बात तो यह है कि विभाग का सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम है मंगल दिवस जिसके तहत माह के प्रथम मंगलवार को गोदभराई, द्वितीय को अन्नप्राशन, तीसरे को जन्म दिवस व चैथे मंगलवार को किशोरी बालिका दिवस, गोदभराई कार्यक्रम के रूप में मनाए जाने को लेकर क्या सिर्फ कागजी खानापूर्ति कर ली जाती है ।
केंद्र में आमंत्रित कर आयरन फौलिक एसिड की 100 गोलियां दी जाती हैं। साथ ही गर्भवती महिलाओं को मांगलिक सामग्री जैसे श्रीफल, सिंदूर, चूड़ी, बिंदी इत्यादि प्रतीक स्वरूप दी जाती है। साथ ही गर्भावस्था में उचित आहार व देखभाल की जानकारी दी जाती है। वहीं दूसरे मंगलवार को गांव की समस्त गर्भवती व धात्री माताओं को आमंत्रित कर आंगनबाड़ी केंद्र पर 6 माह पूर्ण करने वाले बच्चों को प्रथम बार ऊपरी आहार दिया जाता है। इस कार्यक्रम में बच्चों को कटोरी-चम्मच प्रतीक स्वरूप दिया जाता है। इसी प्रकार तीसरे मंगलवार को जन्म दिवस कार्यक्रम मनाया जाता है। जिसके तहत माह विशेष में पड़ने वाले सभी बच्चों का आंगनबाड़ी केंद्र पर सामूहिक जन्म दिवस मनाया जाता है। कार्यकर्ता बच्चों का वजन लेकर रजिस्टर में दर्ज करती हैं और बच्चों को उपहार स्वरूप पेंसिल, रबर, पानी की बाटल आदि प्रतीक स्वरूप दी जाती है, और माह के चैथे मंगलवार को किशोरी बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिसमें आंगनबाड़ी केंद्र में दर्ज किशोरी बालिकाओं को संतुलित आहार, प्राथमिक स्वास्थ्य की देखभाल तथा आर्थिक गतिविधियों से संबंधित प्रशिक्षण दिया जाता है। इनके स्वास्थ्य की जांच एवं जरूरत के मुताबिक दवा भी उपलब्ध कराई जाती है। लेकिन विभाग का यह महत्वपूर्ण कार्यक्रम रीठी परियोजना के आंगनबाड़ी केंद्रों में कागजों पर चल रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि महिला एवं बाल विकास विभाग रीठी के अंतर्गत संचालित सभी आंगनबाड़ी केंद्रों की जांच गंभीरता से की जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। विभाग में व्याप्त भराशांही की कलाई खुलकर सब के सामने आ जाएगी और हद तक अनियमितताओं में सुधार हो जाएगा।
हरिशंकर बेन