19 जनवरी 1902 कटनी के खरहटा नामक स्थान पर बाबू जगमोहन लाल श्रीवास्तव जी का जन्म हुआ था*
*30 वर्षों तक लगातार उस विदेशी हुकूमत से जूझते रहे जिनके राज्य में कभी सूर्यास्त नहीं हुआ करता था*
*14 साल की उम्र में बाबूजी स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े*
बाबूजी 14 वर्ष की उम्र में बाल गंगाधर तिलक जी की एक सार्वजनिक सभा में गए थे वहां पर बाबूजी को देश प्रेम की भावना जागृत की हुई और उन्होंने अंग्रेजों को भारत से भगाने का संकल्प लिया उसके बाद वह लगातार 30 वर्षों तक स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रहे
सन 1920 में उन्होंने कांग्रेस महाकौशल कांग्रेस कमेटी की सदस्यता ग्रहण की 1928 में नेहरू जी ने उन्हें सत्य का प्रशिक्षण देने के लिए इलाहाबाद आने का निमंत्रण दिया
एक महीने तक इलाहाबाद में आनंद भवन में रहकर उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त किया
1929 में एक सत्याग्रह का नेतृत्व करते समय पुलिस ने लाठी चार्ज किया जिसमें बाबूजी 72 घंटे विक्टोरिया हॉस्पिटल में बेहोश रहे उनके इन कार्यों को देखते हुए उन्हें सन 1930 में महाकौशल कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया
जब बाबूजी अध्यक्ष पद पर थे तब उन्होंने एक विशाल जन समूह का नेतृत्व करते हुए नमक कानून तोड़ा
अंग्रेजों ने भड़काऊ भाषण का आरोप लगाकर उन्हें जबलपुर के सेंट्रल जेल में 1 वर्ष का कठोर कारावास दिया
1942 में भारत छोड़ो आंदोलन का उन्होंने नागपुर में नेतृत्व किया
1946 में जब अंतरिम सरकार का गठन हुआ और प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू बने तब प्रथम मुख्यमंत्री पंडित रवि शंकर शुक्ल जी ने उन्हें आदिम जाति कल्याण विभाग में जिला संयोजक के पद पर नियुक्त किया
जिला संयोजक के पद पर रहते हुए उन्होंने पातालकोट की रोमांचकारी और बेहद जोखिम भरी यात्रा की
पातालकोट में वह पेड़ों की जड़ों को पड़कर नीचे उतरे उन्हें देखकर भरिया आदिवासी यहां वहां भागने लगे तब उन्होंने उन्हें बुलाकर समझाया कि डरने की जरूरत नहीं हैं अंग्रेज देश छोड़कर चले गए 1949 में उन्होंने पातालकोटमें प्रथम बार सीढ़ियों का निर्माण किया
1950 में उन्होंने प्रथम राष्ट्रपति महामहिम डॉ राजेंद्र प्रसाद जी को पातालकोट दर्शन के लिए बुलाया इसके अलावा बाबूजी ने धर्म परिवर्तन पर रोक लगाई भोले भाले आदिवासियों को प्रलोभन देकर ईसाई मिशनरिया धर्म परिवर्तन कर रही थी
उनके कार्यों को देखते हुए सन 1951 में जसपुर में उनका स्थानांतरण कर दिया गया जहाँ ईसाई मिशनरिया बहुत प्रभावशाली थी वहां भी उन्होंने धर्म परिवर्तन पर रोक लगाई
1956 में दादाजी ने पातालकोट में प्राथमिक शाला बनाने की योजना बनाई उसके बाद 1959 में रिटायर हो गए
उनके रिटायरमेंट के बाद जब प्राथमिक शाला खुली तो वह बहुत खुश हुए वृद्धावस्था के समय उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी पर रेडियो में समाचार सुनना उनकी दिनचर्या में शामिल था
समाचार में जब वह देश की प्रगति के बारे में सुनते थे तो बहुत आनंदित होते थे पर चुनाव के दौरान जब वह धनबल, भ्रष्टाचार और काला धन के बारे में सुनते थे तो वे कहा करते थे क्या यही मेरे सपनों का भारत है वह बहुत दुखी हो जाया करते थे बाबूजी ने शिक्षा का जो विस्तार किया दूरस्थ अंचलों में वह हमारे लिए बहुत प्रेरणादायक है आज पूरा श्रीवास्तव परिवार बहुत गौरवान्वित है कि हमारे पूर्वज हमारे दादाजी का देश की स्वतंत्रता में अमूल्य योगदान है एक बार पुनः दादाजी को शत-शत नमन
कार्यक्रम में प्रदेश कांग्रेस कमेटी उपाध्यक्ष माननीय गंगा प्रसाद तिवारी जी जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष श्री विश्वनाथ ओकटे जी श्री आनंद बक्षी जी शहर कांग्रेस अध्यक्ष श्री पप्पू यादव जी महापौर श्री विक्रम अहाके जी सभी सभापति गण सभी पार्षद गण और बड़ी संख्या में जनमानस उपस्थित रहे.
. सर्वप्रथम बाबूजी को पुष्पहार पहनाकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई
मंच संचालन वार्ड नंबर 41 के पार्षद एवं सभापति श्री चंद्रभान देवरे द्वारा किया गया बाबूजी की पौत्रबहु सरला श्रीवास्तव द्वारा बाबूजी का संक्षिप्त जीवन परिचय बताया गया.. सभा को माननीय गंगा प्रसाद तिवारी जी श्री विश्वनाथ ओकटे जी आनंद बक्षी जी और महापौर विक्रम अहाके जी द्वारा संबोधित किया गया अंत में आभार उनके पोत्र श्री आशुतोष श्रीवास्तव द्वारा किया गया
*संवाददाता शुभम सहारे छिंदवाड़ा*