रिपोर्टर सीमा कैथवास
नर्मदापुरम। मां नर्मदा के विश्व प्रसिद्ध सेठानीघाट पर स्थित तिलक भवन में आयोजित गीता जयंती महोत्सव के अंतर्गत त्रिदिवसीय ज्ञानसत्र के समापन दिवस में श्रीमदभगवद्गीता पर प्रवचन हेतु ऋषिकेश से पधारे महामंडलेश्वर श्री स्वामी अभिषेक चैतन्य गिरि जी महाराज ने केंद्रीय विषय श्रीमदभगवद्गीता और जीवन मुक्ति पर प्रवचन करते हुए कहा कि ” गीता सभी वेदों एवं शास्त्रों के सार के रूप को हमारे सम्मुख लाती है । इसलिए इस उपनिषद कहा गया है , भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को माध्यम बनाकर मनुष्य मात्र के कल्याण के उपाय बताए हैं। चारों पुरुषार्थों में से धर्म और मोक्ष को केंद्र में रखकर व्यक्ति को किस तरह जीवन व्यतीत करना है यह उपदेश दिया। तीन दिवसीय 21 से 23 दिसंबर तक आयोजित गीता जयंती महोत्सव के अंतिम दिवस पर आपने कहा कि किस तरह स्थितप्रज्ञता मनुष्य जीवन का लक्ष्य है, अपने आचार्य मधुसूदन शास्त्री जी की मीमांसा का भी विस्तार से उल्लेख किया । गीता की महत्ता बताते हुए कहा कि किस तरह चिंता भय , शोक , मोह आदि से मुक्त करती है यही गीता का सार है। त्रिदिवसीय महोत्सव के समापन में डॉ वैभव शर्मा ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में पूज्य स्वामी जी द्वारा गीत गायक भगवान श्री कृष्ण के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। कार्यक्रम में भवानीशंकर शर्मा , गिरिजाशंकर शर्मा , उमेश कुमार पालीवाल , विनोद दीवान ,मयंक दीवान सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित हुए।कार्यक्रम के पूर्व में ऋषिकुल की संस्था के छात्रों द्वारा गीता पाठ किया गया। भजनाञ्जली में गोपाला अग्रवाल द्वारा भजन की प्रस्तुति दी गई। संगत पं राम परसाई एवं सक्षम पाठक ने की। कार्यक्रम का संचालन डॉ संजय गार्गव ने द्वारा किया गया।