रिपोर्टर सीमा कैथवास
नर्मदापुरम। धार्मिक नगरी नर्मदापुरम जीवन दायिनी मां नर्मदा नदी के किनारे पर बसा हुआ प्राचीन नगर है। बाढ़ के पानी से हो रहे किनारे के कटाव और निर्माण कार्यों से बिगड़ रहे पर्यावरण (ग्रीन बेल्ट) के संतुलन के लिए उच्च न्यायालय के निर्देश पर राज्य शासन द्वारा सामान्य जल स्तर से 300 मीटर के दायरे में निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। वहीं जिला प्रशासन के
निर्देश पर नर्मदापुरम में नर्मदा नदी से लगे हुए 100 मीटर के दायरे में किसी भी तरह से पक्के निर्माण पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसके बावजूद भी शहर में नर्मदा किनारे रसूखदारों द्वारा निरंतर भवन निर्माण किए जा रहे है। सूत्रों की माने तो नर्मदा किनारे अवैध निर्माण की आड़ में जवाबदार जमकर मलाई सूत रहे हैं, यहीं कारण है कि खबरे प्रकाशन के उपरांत जवाबदार कागजी कार्रवाई में जुट जाते हैं और निर्माण पूर्ण हो जाता हैं। जिस पर बड़े सवाल है। नर्मदा किनारे की जमीन आज करोड़ों रुपए मूल्य की हो गई है। एक छोटा प्लॉट ही कम से कम 40 से 50 लाख रुपए में उपलब्ध होता है बमुश्किल। आश्चर्य का विषय है कि राज्य शासन के निर्देशों के प्रबंध के बावजूद यहां पर रसूखदार द्वारा धड़ल्ले से अवैध निर्माण किया जा रहा है और वहीं प्रशासन मूकदर्शक बना नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए देख रहा है ? इन दिनों सदर बाजार स्थित नर्मदा के 100 मीटर के दायरे में पिचिंग को क्षतिग्रस्त कर लगातार नए मकान का निर्माण किया जा रहा है, जो खासा चर्चा का विषय भी बना हुआ है। आश्चर्य का विषय है कि सदर बाजार स्थित नर्मदा नदी से 100 मीटर के दायरे के अंदर पक्का भवन निर्माण किया जा रहा है, जहां पर पिचिंग को भी क्षतिग्रस्त किया गया है। बताया जाता है कि यह भवन सेमिरिटर्न स्कूल संचालक आशुतोष शर्मा का है , यहीं पर इनके द्वारा एक प्लॉट भी संघ के नाम पर दान करना बताया जा रहा है। जब मीडिया ने श्री शर्मा से भवन निर्माण संबंधी जानकारी के लिए बात करने की कोशिश की, तो उन्होंने समय न देते हुए मीडिया से बचते हुए नजर आए। इस संबंध में नगर पालिका सीएमओ नवनीत पांडे ने बताया कि नर्मदा किनारे इस प्रकार भवन निर्माण संबंधी अनुमति अभी तक किसी को भी नहीं दी है। इसके बाद भी निर्माण कार्य हो रहा है तो इसे गंभीरता से लेकर निरीक्षण करवाएंगे। इस मामले में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के अधिकारियों से नर्मदा किनारे भवन निर्माण संबंधी जानकारी ली तो उन्होने बताया कि 2012 की स्मार्ट गाइडलाइन के अनुसार अभी तक नर्मदा नदी के 100 मीटर के दायरे में मकान निर्माण की किसी भी प्रकार की अनुमति नहीं दी गई है। अगर ऐसा है तो वह पूर्णता अवैध माना जाएगा और उनके नियम के अनुसार नर्मदा नदी के 100 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार के निर्माण की अनुमति नहीं दी जाती है। मध्यप्रदेश भूमि विकास नियम के अनुसार नदियों के दोनो किनारे और मध्य प्रदेश भूमि विकास नियम 2012 में दिए गए प्रावधानों के अनुसार यहां पर वृक्ष रोपण कर हरित पट्टी निर्मित किए जाने का प्रस्ताव है। नर्मदा एवं नदी के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र सघन वृक्षारोपण हेतु प्रस्तावित है। विकास योजना में आमोद प्रमोद के अंतर्गत कुल 879.70 हेक्टेयर भूमि प्रस्तावित की गई है जो कुल क्षेत्र का 21.02 प्रतिशत है । नगर उद्यान हेतु निवेश इकाई संरक्षित आदमगढ़ पहाड़ी के आसपास का क्षेत्र पुरातत्व संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप रहेगा अर्थात नर्मदा नदी एवं तवा नदी दोनो किनारे के 100,100 मीटर के दायरे में वृक्षारोपण प्रस्तावित है। इसलिए किसी प्रकार का निर्माण नहीं हो सकता हैं। शासन के भी निर्देश है।