विदिशा जिला ब्यूरो मुकेश चतुर्वेदी
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय मंसापूर्ण हनुमान मंदिर के पास स्थित सेवा केंद्र द्वारा गंजबासौदा की उप जेल में कार्यक्रम आयोजित किया गया इसमें ब्रह्माकुमारी रुक्मणी दीदी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि जीवन काल में हम ऐसे कर्म करें कि उसका फल हमें दुख के रूप में न भोगना पड़े। जो भी हम कर्म करते हैं, चाहे अज्ञानतावश चाहे काम, क्रोध आदि विकारों के वश या किसी भी प्रॉब्लम के वश, उसका फल इस जन्म में चाहे अगले किसी भी जन्म में हमें भोगना ही पड़ेगा। जिस प्रकार एक व्यक्ति ट्रेन से उतर कर गंतव्य स्थान पर पहुंचने के लिए दूसरी ट्रेन पकड़ता है, तो अपना सामान तो साथ ही लेकर जाता है, इसी प्रकार कर्म फल ही हमारा सामान है। हमारीअटैची है। तो सदा ध्यान रहे कि हम अपने अटैची में क्या भरा रहे हैं? यदि केवल अच्छे कर्म ही भरेंगे तभी भविष्य जीवन यात्रा सदा सुखमय, शांतिमय, आनंदमय रह सकती है। मन के विचार शुभ भावना और शुभकामना वाले हैं तो बोल भी शक्तिशाली शुद्ध और कल्याणकारी होंगे। जैसे हाथों से श्रेष्ठ कर्म करने से हमारा दुआओं का और पुण्य का खाता जमा होता है, इसी प्रकार से सुखद बोल बोलने से भी दुआओं का और पुण्य का खाता जमा होता है, आज व्यर्थ बोल के कारण हमारे से जाने अनजाने में कुछ गलतियां हो जाती हैं जिनके कारण हम आज यहां पर बैठे हुए है। प्रसाद से मुख मीठा थोड़े समय के लिए होता है लेकिन अगर हम खुद ही मीठे बन जाएं तो सदा मिठास का अनुभव करते रहेंगे जैसे मीठा खाने और खिलाने से खुशी होती है ऐसे ही मधुर बोल खुद को भी खुश करते हैं और दूसरों को भी खुश करते हैं यही है सबसे अच्छा मीठा प्रसाद मधुरता एक ऐसी विशेष धारणा है जो कड़वी धरनी को भी मधुर बना देती है। ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी ने राखी का आध्यात्मिक अर्थ बताते हुए कहा कि यह बंधन एक ऐसा पवित्र बंधन है जिसमें एक बार बंद जाने से उस रिश्ते का सम्मान बढ़ जाता है फिर उस रिश्ते में कभी विकारी दृष्टि, वृत्ति उत्पन्न नहीं हो सकती, परंतु आज कलयुग के समय पर कुछ आत्मा इस पवित्र बंधन का सम्मान नहीं रखते आज के समय पर हर मनुष्य आत्माओं के अंदर यह जो पांच विकार हैं काम, क्रोध, लोभ, मोह अहंकार अपने चरम सीमा पर पहुंच चुके हैं जो कभी-कभी तो भाई बहन के पवित्र संबंध को भी कलंकित कर देते हैं। परमपिता परमात्मा अवतरित होकर हमें इस पवित्र बंधन राखी का वास्तविक रहस्य बताते हैं वह हमें अपना असली परिचय देते हैं कि वास्तव में हम सभी आत्मा है इस शरीर को चलाने वाली, परमात्मा हम सभी के बीच पवित्र संबंध की स्थापना कर रहे हैं सबको सच्ची राखी का अर्थ बता रहे हैं जिस दिन हम सब आत्माएं आपस में भाईचारे का संबंध जोड़ेंगे हम एक पिता के बच्चे इस संबंध की स्मृति में आपस में प्यार और सम्मान की लेनदेन करेंगे उसी दिन हम सब वास्तव में सच्चा सच्चा रक्षाबंधन मनाएंगे। उप जेल अधीक्षक आलोक भार्गव ने ब्रह्माकुमारी दीदीओं का शुक्रिया अदा करते हुए ऐसे कार्यक्रम करने की इच्छा जताई आपके आने से यहां परिवर्तन होता जा रहा है आप बीच-बीच में ऐसे कार्यक्रम करते रहें जिससे सकारात्मक उर्जा यहां फैली रहे। आखिर में सभी को रक्षा सूत्र बांधकर मुख मीठा कराया गया। अधिक संख्या में बंदी भाइयों ने कार्यक्रम का लाभ लिया।