विदिशा जिला ब्यूरो मुकेश चतुर्वेदी
सड़क न होने से एंबुलेंस गांव तक आती नहीं, बीमार चार किलोमीटर पैदल चल नहीं पाते
गंजबासौदा। चार दिन के अंतराल में आदिवासी बाहुल्य वन ग्राम खोंगरा में बीमारी के कारण उपचार न मिलने से दो लोगों की मृत्यु हो गई। गुरुवार 4 अगस्त को इसी गांव में 35 वर्षीय राकेश आदिवासी की मृत्यु हो गई थी। जबकि 7 अगस्त को आदिवासी महिला 60 वर्ष पच्चो बाई की बीमारी से मृत्यु हो गई। गांव में अभी भी एक दर्जन बच्चे महिला पुरुष उल्टी दस्त बुखार पेट दर्द से पीड़ित है। इस पहाड़ी गांव में सड़क नहीं है। कच्चे रास्ते होने के कारण एंबुलेंस और स्वास्थ्य कर्मी आते नहीं। ग्रामीणों ने बताया फोन करने पर एंबुलेंस चालक द्वारा मुख्य सड़क पर आने को कहा जाता है। बीमारी की हालत में वृद्ध महिला और बच्चे चार किलोमीटर पैदल चलकर सड़क तक नहीं पहुंच पाता। इसके कारण घर पर ही जंगली जड़ी बूटी के माध्यम से उपचार करने की कोशिश कर रहे। इसके कारण ज्यादा हालत बिगड़ने पर उनकी मृत्यु हो जाती है। मरने वाले दो लोगों में ऐसे ही बीमार थे।
एक दर्जन से ज्यादा बीमार
गांव में उल्टी दस्त बुखार पेट दर्द के एक दर्जन से ज्यादा लोग बीमार हैं। इनमें टीकाराम 33, श्रीराम 26, राजपाल 17, सुदामा बाई 45, श्रीबाई 34,जमना प्रसाद 55, ओंकार 25, राजा बाबू 16, बलराम 46, लक्ष्मी बाई 24, दुर्जन व कपूरी बाई की उम्र 65 वर्ष है। ग्रामीणों का कहना है मोबाइल लगाने पर एंबुलेंस या स्वास्थ्य कर्मी गांव तक नहीं आते। उदयपुर अस्पताल 10 किलोमीटर दूर है। जबकि त्योंदा और बासौदा अस्पताल 25 किलोमीटर दूरी पर है। बीमारी की हालत में कच्चे रास्ते पर 4 किलोमीटर पैदल चलकर साहबा मुख्य मार्ग तक जाना संभव नहीं है। इसके कारण बीमारी की हालत में गांव में ही पड़े हैं। कोई नीम हकीम आ जाता है। उससे ही दवा ले लेते हैं।
मेहनत और मजदूरी से कर रहे जीवन यापन
उदयपुर ग्राम पंचायत का यह मजरा टोला ग्राम आदिवासी बाहुल्य है। यहां रहने वाले सभी लोग मेहनत मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण करते हैं। यदि मेहनत मजदूरी करने न जाए तो परिवार चलाने के लाले पड़ जाते हैं। ग्रामीणों ने बताया उनके बुजुर्ग 100 साल से इसी गांव में रह रहे हैं। लेकिन आज तक सड़क पानी बिजली की सुविधा नहीं है। प्रधानमंत्री आवास योजना का नाम सुना है। लेकिन इसकी सुविधा गांव के किसी व्यक्ति को नहीं मिली। आज भी कच्ची और पत्थरों के घर में जीवन जी रहे हैं।
राशन लेने 10 किलोमीटर दूर
ग्रामीणों का कहना राशन लेने के लिए 10 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत मुख्यालय जाना पड़ता है। विकास के नाम पर गांव में प्राथमिक शाला है। स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है। स्वास्थ्य कर्मी सड़क न होने के कारण आते ही नहीं। पांचवी के बाद एक तो बच्चे पढ़ते नहीं। जो पढ़ना चाहते हैं। उनको उदयपुर, देलवाड़ा, भिलायां स्कूल रोज पैदल आना जाना पड़ता। इन तीनों की दूरी करीब 8 से 10 किलोमीटर है। कुल मिलाकर गांव के लोगों का कहना है विकास के नाम पर आज तक भी ग्रामीणों को कुछ नहीं मिला है। इसके चलते अभाव और समस्या के बीच जिंदगी जी रहे हैं।
वर्जन
गांव बीमारी से दो मृत्यु कई लोग बीमार हैं इसकी जानकारी नहीं मिली। मामला गंभीर है। स्वास्थ्य दल को तत्काल भेज कर बीमारियों का उपचार कराया जाएगा।
विजय राय एसडीएम गंजबासौदा।