कटनी( 06 जून)- स्लीमनाबाद क्षेत्र के ग्राम कौडि़या तालाब के सिमटते अस्तित्व को फिर से पल्लवित करने भगिरथ बने कलेक्टर अवि प्रसाद ने यहां मंगलवार से शुरु जनभागीदारी अभियान का निरीक्षण किया। यहां ग्रामीणों की सहभागिता से तालाब के गहरीकरण के जल यज्ञ में श्रम और सहयोग की आहुति का अनुष्ठान चल रहा है।
करीब 70 वर्ष पुराने इस तालाब के जीर्णाेद्धार कार्य के प्रणेता और सूत्रधार बने कलेक्टर श्री प्रसाद के आव्हान पर ग्रामीणों के उठे हजारों हाथ तालाब को पानीदार बनाने की संकल्प शक्ति के साथ जुटे हैं। मानसून मे बंूदों को सहेज कर तालाब मे अथाह जलराशि संचयन की कोशिशों को अमलीजामा पहनानें के लिए मार्गदर्शक बने कलेक्टर श्री प्रसाद। जिनके निर्देशों पर बहोरीबंद एसडीएम प्रदीप कुमार मिश्रा
63 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले इस विशाल तालाब को पानीदार बनाने ग्रामीणों से सहभागिता का आव्हान किया। वर्ष 1952 में बने इस धनवाही तालाब के मंगलवार से शुरू गहरीकरण कार्य में पहले ही दिन एक जेसीबी मशीन सहित 43 ट्रैक्टर का जन सहयोग मिला। इस नेक कार्य में सहभागी बनने कई लोगों ने पहल कर भागीदारी की पेशकश की है। एसडीएम श्री मिश्रा ने बताया कि बुधवार को करीब 100 ट्रेक्टर जन सहयोग से तालाब गहरीकरण कार्य में भागीदार बनेंगे।
एसडीएम श्री मिश्रा बताते हैं कि, कभी 12 महीने पानी से लबालब भरा रहने वाला यह कौडिया तालाब अब मई-जून माह में ही सूख जाता है। कुछ साल पहले तक इस तालाब से करीब 215 हेक्टेयर भू- क्षेत्र की सिंचाई होती थी। विशेषज्ञ इंजीनियरों का अनुमान है कि वर्षा के दौरान तालाब के अगोर से कट- कट कर आई साल- दर -साल मिट्टी से तालाब उथला हो गया है। एक अनुमान के मुताबिक करीब 5 से 6 मीटर मिट्टी का जमाव होने से तालाब पट गया। जिससे इसकी जल संग्रहण क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
तालाब का गहरीकरण हो जाने से उसमें बारहमासी पानी का ठहराव होगा। फसलों की सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा। आस-पास के ग्रामों का भू-जल स्तर बढ़ेगा। मवेशियों और क्षेत्रीय निस्तार के लिए भरपूर पानी मिलेगा।