रिपोर्टर मुकेश चतुर्वेदी
माननीय न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश, तहसील गौहरगंज, जिला रायसेन द्वारा आरोपी बबलू आदिवासी निवासी अंतर्गत थाना सुल्तानपुर को पुलिस थाना सुल्तानपुर के मामले में दोषी पाते हुए धारा 376(3) भादवि में 20 वर्ष का कठोर कारावास एवं धारा 5l/6, 5j(ii)/6 पॉक्सो एक्ट में 20-20 वर्ष का कठोर कारावास से दंडित एवं क्रमश: दो-दो हजार रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया ।
इस मामले में मध्यप्रदेश राज्य की ओर से विशेष लोक अभियोजक श्री अनिल कुमार तिवारी, तहसील गौहरगंज जिला रायसेन ने पैरवी की।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि- दिनांक 27/04/2018 को थाना में अभियोक्त्री के भाई द्वारा बच्ची के गुम हो जाने की सूचना दी गई कि दिनांक 16/04/2018 को वह अपनी अवयस्क बहन, व उसकी पत्नी, बच्चे के साथ मेहमानी करने उसके साले के घर आया था, वे सब रात में खाना खाकर घर के सामने आँगन में सो गये, रात में करीब 3 से 4 बजे वह उठा देखा कि अभियोक्त्री व उसका साला दोनों नहीं थे, उसे शंका है कि उसका साला बबलू अभियोक्त्री को भगा कर ले गया है, अभियोक्त्री की आसपास व रिश्तेदारों में तलाश करने पर कोई जानकारी नहीं मिली। इस सूचना पर थाना सुल्तानपुर में गुम इंसान सूचना एवं धारा 363 भादंसं के अंतर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट लेख की गई।
अनुसंधान के दौरान दिनांक 04/01/2020 को अभियोक्त्री को दस्तयाब किया गया। अभियोक्त्री से पूछताछ कर उसका कथन लेखबद्ध किया गया, जिसमें उसके द्वारा बताया गया कि उसके भाई का रिश्तेिदार अभियुक्त बबलू उसकी पत्नी व बच्ची के साथ करीब 3 साल पहले से गुजरात के अहमदाबाद शहर के पास ग्राम अजवान में मजदूरी करता था, जहां एक माह रहने के दौरान वह अभियुक्त के संपर्क में आयी थी। इसके एक डेढ़ महीने बाद उसके भैय्या लेने गये तो वह और उसकी भाभी वापस आ गये थे, फिर जब बबलू आदिवासी के यहां लड़की का जन्म हुआ था, जिसकी छठी के कार्यक्रम में दिनांक 16/04/2018 को वह अपने भाई और भाभी व उनके बच्चों के साथ गयी थी, दिन में छठी का कार्यक्रम होने के बाद वे लोग भाई की ससुराल में ही रुक गये थे, गर्मी के दिन होने से सभी लोग खाना खा पीकर आंगन में सो रहे थे कि रात करीब 10:00 बजे वह उठी और बबलू से कहा कि तालाब किनारे घूमने चलें और फिर वे दोनों रात में तालाब किनारे घूमने चले गये, उसने बबलू से कहा कि चलो दोनों भाग चलते हैं, यदि उसे भगाकर नहीं ले जाओगे तो वह तालाब में कूदकर जान दे देगी, तो बबलू उसे लेकर भागने को तैयार हो गया और वे दोनों ग्राम के तालाब से ही रात में पैदल चल दिये और दूसरे दिन बरेली पहुंचे, बबलू ने पहले बरेली वाले पटेल के खेत पर मजदूरी की थी, बबलू ने उसे उन्हीं के खेत पर बने टपरे पर करीबन 8 दिन रखा। अभियोक्त्री ने कथन में यह भी बताया कि फिर वे दोनों उदयपुरा बोरास के ग्राम मजदूरी करने लगे और उनके खेत पर बने टपरे में करीबन एक साल पति-पत्नी के रूप में रहे और बबलू ने ग्राम राख में ही उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना शुरू कर दिया था। करीबन एक साल बाद बबलू उसे गाडरवाड़ा से ट्रेन में बैठाकर गुजरात के अहमदाबाद रेलवे स्टेशन उताकर ऑटो से ग्राम अजवान लेकर गया और सेठ के खेत पर दोनों मजदूरी करने लगे और उन्हीं के खेत में टपरिया बनाकर रहने लगे, करीबन 8 दिन बाद ग्राम अजवान के हनुमान मंदिर से उन दोनों ने शादी कर ली थी, बबलू और उसके बीच कई बार शारीरिक संबंध बनने के कारण ग्राम अजवान में ही उसने एक बच्ची को जन्म दिया।
अनुसंधान के दौरान अन्य साक्षीगण के कथन भी लेखबद्ध किये गये। अभियोक्त्री का धारा 164 दं.प्र.सं के अंतर्गत मजिस्ट्रेट के समक्ष कथन कराया गया। डीएनए परीक्षण हेतु अभियोक्त्री, उसकी बच्ची एवं अभियुक्त का रक्त नमूना प्राप्त किया गया। अभियोक्त्री, उसकी बच्ची एवं अभियुक्त के रक्त नमूनों को डीएनए जांच हेतु राज्य न्यायायिक विज्ञान प्रयोगशाला सागर (म.प्र.) भेजा गया, जहां से डीएनए रिपोर्ट प्राप्त हुई।
अनुसंधान पूर्ण कर पुलिस ने अभियोग पत्र माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किया। यद्यपि न्यायालय में सुनवायी के दौरान अभियोक्त्री और उसके माता-पिता अपने बयानों से पलट गये किंतु बयानों में आये तथ्यों तथा अन्य गवाहों के बयान वैज्ञानिक चिकित्सीय साक्ष्य से अभियुक्त को संदेह से परे मामला प्रमाणित पाते हुए आरोपी को दोषसिद्ध किया गया।
श्रीमती शारदा शाक्य
मीडिया प्रभारी
जिला रायसेन म0प्र0