रिपोर्टर सीमा कैथवास
नर्मदापुरम । जिले में इस बार रबी सीजन में गेहूं खरीदी को लेकर बनाए गए खरीदी केंद्रों को चयनित करने की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं। जिसमे यह बात भी सामने आ रही है कि इस बार अधिकतर सत्तारूढ़ नेताओं के वेयरहाउसो को खरीदी केंद्र बनाया गया है। वेयर हाउस चयन में अनियमितता को लेकर जिला उपार्जन समिति की नोडल अधिकारी और जिला आपूर्ति नियंत्रक पर भी पद का दुरुपयोग और नियमों को ताक में रखकर मनमर्जी किए जाने के गंभीर आरोप की शिकायत भोपाल स्तर पर संचालक, खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग तक हुई है। गेहूं खरीदी के केंद्र स्थापना को लेकर वेयरहाउस चयन में गड़बड़ी की शिकायत सोहागपुर और माखन नगर तहसील में स्थित तीन वेयर हाउस संचालकों द्वारा माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका दायर की गई थी। उच्च न्यायालय के निर्देश पर संचालक,खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग भोपाल द्वारा याचिकाकर्ता रामबाबू अग्रवाल संचालक जयंती सीड्स एंड प्रोसेसिंग वेयरहाउस ग्राम बम्होरी कला तहसील माखन नगर, धनराज पटेल संचालक न्यू जगदंबा वेयरहाउसिंग ग्राम गुरमखेड़ी तहसील सोहागपुर, पंकज मालवीय प्रबंधक शक्ति एग्रो सर्विसेज ग्राम बांदी तहसील सोहागपुर सहित नर्मदापुरम जिला आपूर्ति नियंत्रक ज्योति जैन एवं नोडल शाखा प्रबंधक वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक्स कॉरपोरेशन नर्मदापुरम के समक्ष प्रस्तुत अभ्यावेदन तथ्यों को दृष्टिगत रखकर आदेश पारित किया गया। 11 मई 2023 को जारी अंतरिम आदेश में संचालक खाद्य, नागरिक आपूर्ति या उपभोक्ता संरक्षण मप्र भोपाल के आदेश से स्पष्ट होता है कि जयंती स्वीट्स एंड प्रोसेसिंग वेयरहाउस व शक्ति एग्रो सर्विसेज वेयरहाउस के मामले में गड़बड़ी हुई है। अपने आदेश में स्पष्ट लिखा है कि जब जयंती सीड्स एंड प्रोसेसिंग वेयरहाउस ग्राम बम्होरी कला और शक्ति एग्रो सर्विसेज ग्राम बांदी तहसील सोहागपुर के गोदाम में वे ब्रिज स्थापित होने के कारण गोदाम की प्राथमिकता द्वितीय श्रेणी में आती है। जबकि संबंधित क्षेत्र में तृतीय श्रेणी अंतर्गत आने वाले गोदामों पर भी उपार्जन केंद्र बनाए गए हैं। अतः प्राथमिकता श्रेणी में पात्रता होने की वजह से रबी विपणन वर्ष 23 – 24 में समर्थन मूल्य पर गेहूं उपार्जन हेतु तत्काल उपार्जन केंद्र / भंडारण केंद्र स्थापित किया जाए। इसी प्रकार न्यू जगदंबा वेयरहाउसिंग ग्राम गुरमखेड़ी सोहागपुर में गोदाम पर वेब्रिज स्थापित नहीं होने, उसकी भंडारण क्षमता नहीं होने और संयुक्त भागीदारी योजना अंतर्गत प्राथमिकता क्रम निम्न होने से उसको भंडारण की पात्रता में नहीं माना गया। उक्त मामला स्पष्ट करता है कि गेहूं खरीदी के लिए निजी वेयरहाउसो के चयन में निश्चित ही गड़बड़ी हुई हैं। जब तृतीय श्रेणी अंतर्गत आने वाले गोदामों को उपार्जन केंद्र बनाया गया तो फिर प्राथमिकता में द्वितीय श्रेणी के वेयरहाउसो को नियमों की क्यों नजरअंदाज किया गया ? यह बड़ा सवाल चयन समिति पर भी खड़ा होता है। वेयर संचालकों को हुए आर्थिक नुकसान के लिए जवाबदार कौन होगा ? जब यह मामला जिला उपार्जन समिति तक पहुंचा तो नोडल अधिकारी द्वारा क्यों नजरंदाज किया? जिसके कारण मजबूर होकर वेयर हाउस संचालकों को उच्च न्यायालय की शरण लेना पड़ी। इस मामले को लेकर वेयर हाउस संचालकों ने उपखंड स्तरीय उपार्जन समिति माखननगर और सोहागपुर में पदस्थ कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी सहित जिला आपूर्ति नियंत्रक नर्मदापुरम को दोषी ठहराया है। जिन्होंने शासन के नियमों को ताक में रखकर पारदर्शिता एवं प्राथमिकता क्रमांक का पालन न करते हुए मनमर्जी से भ्रामक अनुशंसा कर केंद्र स्थापित नहीं करने को लेकर क्षति पहुंचाई है।