रिपोर्टर सीमा कैथवास
इटारसी। अष्टादश पुराणेषु व्यासस्य वचनद्वयं ।परोपकाराय पुण्याय पापायपरपीडनम्।।
अर्थात। 18 पुराणों में 6 शास्त्र और 4 वेदों में एक ही बात सार है कि परोपकार से बड़ा कोई पुण्य नही है और दूसरो को दुःख देने से बड़ा कोई पाप नही है। रामचरितमानस में भी लिखा है परहित सरिस धर्म नही भाई, परपीड़ा सम नही अधमाई।
उक्त उद्गार पंडित रघुनन्दन शर्मा ने ग्रैंड एवेन्यू कॉलोनी में आयोजित श्रीमद् भागवत् कथा के तृतीय दिवस की कथा में जड़भरत आख्यान सुनाते हुये वयक्त किए। कथा को विस्तार देते हुए पंडित रघुनंदन शर्मा ने कहा कि जब राजा रहूगण सत्संग में ज्ञान प्राप्त करने जा रहे थे तो पालकी में लगे एक कहार के बीमार होने पर महाराज जड़भरत को पालकी में लगाया गया तब पालकी उठाए हुये भी महाराज जड़भरत एक धनुष आगे की भूमि देखते हुये चलते थे क्योंकि उनका भाव यही था की किसी भी जीव को मेरे द्वारा कोई कष्ट न हो जाये क्योंकि वो हर जीव में परमात्मा का स्वरुप ही देखते थे, उनका भाव् ही यही था किसी भी जीव को मत सताइये और परहित में ही मेरा जीवन लगा रहे।इस प्रकार राजा रहूगण को उपदेश देकर उसका उद्धार किया। व्यासगादी से कथा को विस्तार देते हुए कथाव्यास ने बताया हमारे यहाँ मुख्य रूप से तीन भरत हुए है जिनके नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा है एक श्रीराम के भाई भरत दूसरे दुष्यंत और शकुंतला के बेटे भरत और तीसरे जड़भरत जिनका कथा में विषय चला रहा था उन्होंने किस प्रकार परहित में अपना जीवन लगाकर सभी को परोपकार करने की प्रेरणा दी ! हमे भी अपने जीवन में परोपकार करते हुए जीवन जीना चाहिए।।।कार्यक्रम के संचालक पंडित अनिल मिश्रा ने बताया कार्यक्रम का आयोजन समस्त ग्रैंड एवेन्यू.कॉलोनी परिवार के द्वारा कराया जा रहा है ।आज की कथा में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने कथा का श्रवण किया गुरुवार 25 मई को श्रीकृष्ण जन्म की सुन्दर झांकी के साथ उत्सव मनाया जायेगा। कथा का आयोजन 28 मई 2023 तक चलेगा।।