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प्रदेश के केसला थाने में 5 सौ वर्ष के कल्पवृक्ष की धरोहर मौजूद, प्रदेशभर से आते हैं दर्शन के लिए लोग
नर्मदापुरम जिले के केसला थाने में 5 सौ बर्ष के कल्प वृक्ष की धरोहर के रूप में मौजूद हैं केसला थाने में। आपको बता दें कि वैसे तो लोग पुलिस थानों में कदम रखने से गुरेज करते हैं लेकिन इटारसी अनुविभाग के केसला थाने में लगा प्राचीन कल्पवृक्ष कौतूहल का विषय बना हुआ है। पूरे प्रदेश इसके दर्शनों के लिए यहां लोगों की भीड़ लगी रहती है। मान्यता है कि इस वृक्ष के दर्शन करने से हर मनोकामना पूरी होती है।
केसला थाना प्रभारी आशीष पवार ने बताता कि हाइवे से जुड़ा होने के कारण आए दिन यहां लोग इस वृक्ष के दर्शन करने आते हैं। कई लोग पूछते हैं कि यह वृक्ष कहां लगा है। कुछ लोग इसकी पत्तियां तो कोई फल-फूल तक ले जाता है। मान्यता के कारण पुलिसकर्मियों ने यहां एक मढिया भी बनाई है। यह वृक्ष बहुत पुराना है इसे थाने के अंदर किसने लगाया इसका कोई अधिकृत रिकार्ड नहीं है।
पुलिसकर्मी भी इस वृक्ष के प्रति आस्था रखते हैं। दोनों समय थाने जा स्टाफ वृक्ष की पूजा करता है। इस वृक्ष के नीचे बैठकर की गई कामना जरूर पूरी होती है। वेद पुराणों में कल्पवृक्ष का उल्लेख मिलता है। कल्पवृक्ष स्वर्ग का एक विशेष वृक्ष है। पौराणिक धर्मग्रंथों और हिन्दू मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि इस वृक्ष के नीचे बैठकर व्यक्ति जो भी इच्छा करता है, वह पूर्ण हो जाती है, क्योंकि इस वृक्ष में अपार सकारात्मक ऊर्जा होती है।
पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन के 14 रत्नों में से एक कल्पवृक्ष की भी उत्पत्ति हुई थी। समुद्र मंथन से प्राप्त यह वृक्ष देवराज इन्द्र को दे दिया गया था और इन्द्र ने इसकी स्थापना ‘सुरकानन वन’ (हिमालय के उत्तर में) में कर दी थी। पद्मपुराण के अनुसार पारिजात ही कल्पतरु है। कल्पवृक्ष का वनस्पतिक नाम एडेन सोनिया डिजिडाटा है। इसकी ऊंचाई आयु के अनुसार बढ़ती रहती है। छाल नरम चिकनी लाल भूरे रंग की होती है। पत्तियां गहरी नीली नरम, फूल सफेद और फल पीले होते हैं। इसकी आयु 2000 से 2500 वर्ष होती है। मान्यता है कि साल के 9 माह इसकी पत्तियां नहीं रहतीं और इसके बीज औषधीय गुणों से भरपूर हैं। फल में विटामिन बी और सी होता है। इसकी पत्तियां जटिल रोगों के इलाज में कारगर मानी जाती हैं।
रिपोर्टर सीमा कैथवास