सीमा कैथवास की रिपोर्ट
नर्मदापुरम। मंगलवार को कलेक्ट्रेट कार्यालय में आयोजित जनसुनवाई में कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने आमजनों की समस्याओं को सुन उनका निराकरण किया। जनसुनवाई में 56 आवेदनो पर सुनवाई हुई। जिला पंचायत सीईओ एसएस रावत, अपर कलेक्टर मनोज कुमार ठाकुर सहित सभी विभागों के जिला अधिकारी जनसुनवाई में उपस्थित रहे। कलेक्टर की जनसुनवाई में आदिवासी किसान की जमीन पिता के बाद उसके नाम नहीं हो पा रही। कलेक्टर की जनसुनवाई में एक स्मरण पत्र दिया । स्मरण पत्र में उल्लेख किया है कि वह एक आदिवासी समाज का विकलांग हू । और उल्लेख किया की वह आदिवासी किसान बसंत सराठिया निवासी ग्राम बगलोंन तहसील माखन नगर से हू। आदिवासी गरीब किसान ने कलेक्टर से गुहार लगाई कि वह एक काश्तकार होकर विकलांग है और उसके स्वर्गीय पिता तुलसीराम के नाम से भूमि खसरा नंबर 13 /3 तीन रखवा 0.085 है., खसरा नंबर 14/3 रकवा 0.052 हेक्टर खसरा नंबर 62/3 रकवा 0.214 है. एवं खसरा नंबर 309/3 रकबा 0.020 है । जुमला रकवा 0.362 है. स्थित ग्राम बगलोन, तहसील माखन नगर , जिला नर्मदापुरम के राजस्व अभिलेख में वर्ष 2008, 2009 तक दर्ज रही है जिसकी ऋण पुस्तिका क्रमांक LD- 238 734 है । मेरे पिता तुलसीराम का देहांत वर्ष 2010 को हो गया है। तुलसीराम के वैध बारसान में प्रार्थी बसंत सराठिया और मेरी मां कस्तूरी बाई सराठिया है। हम गरीब आदिवासी हैं, तथा अल्प शिक्षित हैं , हमें विधि का ज्ञान नहीं है । हाल ही में मेरे द्वारा प्रधानमंत्री सम्मान निधि प्राप्त करने हेतु उक्त भूमि के राजस्व अभिलेख का अवलोकन कराया गया तो ज्ञात हुआ कि मेरे पिता तुलसीराम के स्वामित्व v आधिपत्य की भूमि उक्त भूमि के राजस्व अभिलेख में वर्ष 2008-09 के उपरांत मेरे पिता तुलसीराम का नाम दर्शित नहीं हो रहा है। इस संबंध में मैंने कलेक्टर की जनसुनवाई में पूर्व में एक लिखित आवेदन जनवरी 2022 एवं फरवरी मई 2022 को एसडीएम नर्मदापुरम को प्रस्तुत किया था और आशा की थी मेरी जमीन के दस्तावेजों का दुरुस्ती होकर जाएगा न्याय गुहार लगाई थी। जिसके प्रकरण 178 /6(अ) 2022 – 23 है । उक्त भूमि के संबंध में मुझे शासन की योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री सम्मान निधि , मुख्यमंत्री किसान कल्याण निधि का लाभ प्राप्त नहीं हो पा रहा है। ना ही उक्त भूमि पर मुझे खेती करने हेतु बिजली का कनेक्शन प्राप्त हो पा रहा है , ना ही फसल विक्रय पंजीयन हो पा रहा है। मेरा उक्त प्रकरण आज भी आपकी प्रतीक्षा में है । और बसंत सराठिया आदिवासी किसान ने अपना खसरा दुरुस्तकरण करने की मांग की है। गरीब आदिवासी किसान ने अपने स्वर्गीय पिता की खेती योग्य भूमि का खसरा दुरुस्ती करन, नामांतरण की मांग की है ।
और बताया कि मैं पिछले 1 साल से अपनी बुजुर्ग 60 वर्षीय मां के लिए लड़ाई लड़ रहा हू। कई बार उसके द्वारा आवेदन देने के बाद अभी तक खसरा दुरुस्त नहीं होने के कारण अब वह थक हार गया। उसके स्वर्गीय पिता की खेती भूमि दुरुस्तिकर्ण नहीं होगी तो उसे और उसकी बूढ़ी माता का भरण पोषण व करने में असमर्थ है क्योंकि वह एक विकलांग आदिवासी किसान हैं । जमीन के कागज दुरुस्त नहीं होने के कारण उसे शासन की विभिन्न योजनाओं से वंचित रहना पड़ रहा है । इस हेतु जनसुनवाई में कलेक्टर महोदय से अपने दस्तावेज दुरुस्ती करण की मांग की है जिससे उसे शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ मिल सके । और जिला न्याय की गुहार लगाई है । जिससे एक आदिवासी परिवार के जीवन यापन करने का एकमात्र उनके स्वर्गीय पिता की भूमि जिससे वे खेती कर शासन के योजनाओं का लाभ ले सके। एकमात्र सहारा है।