सीमा कैथवास की रिपोर्ट
नर्मदापुरम। सोहागपुर एसडीओपी चौ. मदन मोहन समर जी के साथ हुई एक 10 मार्च की एक मार्मिक चित्रण जिसे उन्होंने अपने शब्दो में बया किया है –
कल दोपहर को मैं हमारे लिए चुनौतीपूर्ण सांगाखेड़ा लूट व हत्या कांड के खुलासे पर एसपी साहब द्वारा सम्बोधित प्रेस कांफ्रेंस में शामिल हो नर्मदापुरम से वापस सोहागपुर आ रहा था। लगातार जागने से थकान थी, व मेरी झपकी लगी हुई थी। अचानक वाहन से कुछ जोर से टकराया। मेरी नींद हड़बड़ी में टूटी।
क्या हुआ….?
क्या हुआ……?
“सर एक बंदर टकराया है गाड़ी से”- ड्राइवर दुर्गेश ने बताया। यह स्थान माखन नगर से आगे गुराड़िया और बुधवाड़ा गांव के बीच एक नाले की पुलिया के पास था।
मैंने दुःखी होकर तत्काल गाड़ी रुकवाई व पीछे लौटे। देखा एक लंगूर (काले मुंह वाला बंदर) सड़क पर पड़ा है। टक्कर और आवाज़ की तीव्रता से यह यह निश्चित था कि लंगूर मर गया है। मैं लंगूर की तरफ उसे देखने जाने लगा। मन बहुत खराब हो गया था। मैंने दो कदम ही बढ़ाये होंगे कि आठ-दस लंगूर आ गए और सड़क पर पड़े उस लंगूर को घेर लिया। एक लँगूरनी ने बहुत फुर्ती से जमीन पर पड़े उस लंगूर का परीक्षण किया। इस दौरान मैंने सड़क पर आने-जाने वाले वाहनों को रोक दिया ताकि लंगूरों को कोई व्यवधान न हो। 2 मिनिट में बहुत से लोग वहां रुक गए जो साक्षी हैं इस घटना के। उस मादा लंगूर का व्यवहार ऐसा था जैसे वह कोई सिद्धहस्त चिकित्सक हो। उसने बेहद सधे तरीके और हवा-भाव से लंगूर का सीपीआर किया। उसके मुंह मे अपना मुंह लगा कर कई बार सांस दी। उसके बदन पर कुछ दबाव बनाया। हम आश्चर्यचकित थे 3-4 मिनिट में लंगूर को होश आया गया और वह बैठ गया। फिर उस चिकित्सक ने एक लंगूर को कुछ इशारा किया। वह नीचे नाले से पानी मुंह मे भर कर लाया व उस लंगूर को मुंह से पिलाया। हमारे देखते देखते लंगूर खड़ा हो गया। लेकिन लड़खड़ा रहा था।फिर उस चिकित्सक लँगूरनी ने उसकी पीठ पर चिकित्सीय क्रियाएं कीं।अब वह लंगूर इत्मीनान से बैठा था लेकिन उसके चेहरे पर घबराहट थी। कुछ और लंगूर उसके नजदीक आये व उसे सहलाकर हिम्मत देने लगे।
शायद आपको यकीन न हो लंगूर को स्वस्थ देखकर मैंने उन्हें सड़क से हटने का इशारा किया तो उस लँगूरनी ने भी कुछ समय और रुकने का इशारा करते हुए हमसे अनुरोध किया। सामान्य होते ही सारे लंगूर अपने साथी को ठीक कर साथ लेकर चले गए। यह सारा घटनाक्रम 7 से 8 मिनिट में पूरा हो गया। इसके बाद मैंने सड़क पर खड़े वाहनों को रवाना किया। इस नजारे को जिसने देखा वह मंत्रमुग्ध था। मैं इस घटना को रिकार्ड नहीं कर सका या यूं कहूँ मैंने वीडियो नहीं बनाया। एक तो मैं स्वयं सम्मोहित था। दूसरी मेरी चिंता लंगूर के प्रति थी तीसरा मेरा मोबाइल गाड़ी में था तथा यह दृश्य ऐसा था कि इसकी अनुभूति किसी माइक्रो सेकेंड के लिए भी छूट नहीं रही थी अपलक दृश्य था।
इस अद्भुत दृश्य को देखकर व लंगूर के स्वस्थ होने पर मैं और मेरा ड्राइवर अपराध बोध से कुछ तो मुक्त महसूस कर रहे थे। अन्यथा इस घटना पर हम दोनों ही बहुत विचलित हो गए थे।