सीमा कैथवास की रिपोर्ट
सिवनी मालवा । भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र एवं मनुष्यों के पल- पल के कर्म का लेखा-जोखा रखने वाले भगवान चित्रगुप्त के वंशज कायस्थ समाज सिवनी मालवा ने चैत्र कृष्णपक्ष भाईदूज पर अपने कुलाधिपति भगवान श्री चित्रगुप्त की सभी सामाजिक बंधुओं, महिला शक्ति ने पूजन एवम कलम दवात की पूजा के साथ ही होली मिलन का आयोजन विनय खरे के निवास किया रखा । जिसमें सभी सामाजिक महिला-पुरुष एवम बच्चों ने अपने ईष्ट देव की पूजा की। सर्वप्रथम पंडित रामशंकर दुबे द्वारा मंत्रोचार के साथ प्रथम पूज्य बुद्धि विवेक के देवता श्री गणेश की पूजन एवं श्री चित्रगुप्त भगवान की पूजन की गई। तत्पश्चात भगवान चित्रगुप्त की उत्पत्ति की कथा में बताया की चित्रगुप्तजी ब्रहम्मा जी की सम्पूर्ण काया से उत्पन्न हुए हैं इसलिये उनके वंशज कायस्थ कहलाए , चित्रगुप्त जी भगवान यमलोक में सभी प्राणियों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं, उनकी पूजा करने से सभी को बुद्धि , बल, एवम धन की प्राप्ति होती है। इस अवसर पर सभी स्वजाति बंधुओं ने संघे शक्ति कलियुगे संगठन के महत्व पर जोर दिया तथा शीघ्र ही समाज की एक समिति बनाकर समिति के माध्यम से समाज के अभावग्रस्त, प्रतिभावान बच्चों को आर्थिक एवं हर स्तर पर मदद करने , समाज मे व्याप्त बुराइयों को दूर करने, परिवार एकजुट होकर रहे बच्चों में शारीरिक विकास के साथ पारंपरिक संस्कारवान रहे एवं प्रतिस्पर्धाओं की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होकर अपना भविष्य निर्माण कर देश की प्रगति में सहायक बनें आदि पर सहमति बनी । तथा 27 अप्रैल को चित्रगुप्त जयंती के अवसर पर ग्राम सोमलवाड़ा में स्थित लगभग 250 वर्ष प्राचीन भगवान चित्रगुप्त मंदिर में सामूहिक रूप से भगवान चित्रगुप्त का पूजन अर्चन विशेष श्रंगार एवं भंडारा करने पर सहमति बनी । समाज की मातृ शक्तियों से भी आग्रह किया गया कि वह एक महिला समिति तैयार करें और आपस में मिलजुल कर कार्य करें। इस अवसर पर सर्वश्री सुरेश खरे, वीरेंद्र श्रीवास्तव, राजेश श्रीवास्तव, राकेश श्रीवास्तव, बबलू श्रीवास्तव, अरुण श्रीवास्तव, विनय खरे, नीलेश श्रीवास्तव, दीपक गौड़, कमलेश श्रीवास्तव, पंकज वर्मा, रवि खरे आदि सभी स्वजन उपस्थित रहे।