सीमा कैथवास की रिपोर्ट
नर्मदापुरम। मध्य प्रदेश शासन के निर्देशानुसार अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज पोषक वर्ष 2023 के तत्वावधान में आज नर्मदा कॉलेज में भारतीय परंपरा के अनुसार मोटा अनाज की उपयोगिता विषय पर इशिका दीक्षित, निकीता सेन, शेख महक, कार्तिक भट्ट ,रागिनी साहू ने कहानी वाचन किया। “पौष्टिक अनाज और स्वास्थ्य” विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया । प्राचार्य डॉ ओएन चौबे ने स्वागत भाषण में फाइबर युक्त भोजन और मोटे अनाज की प्रासंगिकता प्रस्तुत की। डॉ सविता गुप्ता ने कार्यक्रम की रुपरेखा प्रस्तुत कर विषय प्रवर्तन किया। डॉ संध्या राय ,डॉ संगीता अहिरवार एवं डॉ वंदिता बंसल मुख्य चिकित्सा अधिकारी केंद्रीय संस्थान दिल्ली के व्याख्यान हुए।
डॉ संगीता अहिरवार ने मोटा अनाज के संबंध में बताया कि हमारे पूर्वजों के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु का राज मोटा अनाज ,खान-पान और दिनचर्या रही है। गेहूं और मैदे से निर्मित फास्ट फूड हमारे पाचन तंत्र को खराब कर देते है और इसी के कारण हमारी ऊर्जा कम होकर स्वास्थ्य में गिरावट होती है कई बीमारियों हमें घेर लेती हैं। उन्होंने ओट्स,रागी,बाजरा, मक्का,ज्वार आदि मोटे अनाज में केल्शियम, आयरन, प्रोटीन की उपलब्धता बताते हुए कहा कि इससे कई रोगों की रोकथाम भी होती है।डॉ संध्या राय ने कहा कि हमें जानकारी होना आवश्यक है कि किस उम्र में,किन परिस्थितियों में,कब और कैसा भोजन करना चाहिए। वर्तमान में बच्चों में कुपोषण या मोटापे की समस्या है मोटा अनाज संतुलित और पौष्टिक आहार होता है । दिल्ली से आनलाईन व्याख्यान देते हुए डॉ वंदिता बंसल सीनियर मेडिकल ऑफिसर दिल्ली ने बताया कि मोटे अनाज को श्री अन्न कहा जाता है क्योंकि यह हमारी संस्कृति से जुड़ा है और इसमें भरपूर मात्रा में पौष्टिकता हैं। श्री अन्न यानी मोटा अनाज को भूमि की उर्वरता खाद रसायन की आवश्यकता नहीं है और 65 दिनों में इसकी फसल तैयार हो सकती है । आज अंतर्राष्ट्रीय रूप में हम पूरे वर्ष में मोटे अनाज की पौष्टिकता के प्रति जागरूक कर रहे हैं तो निश्चित रूप से पूरे विश्व में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का विस्तार कर रहे हैं। डॉ के जी मिश्र, डॉ हंसा व्यास, डॉ विनीता अवस्थी ने भी संबोधित किया। डॉ ममता गर्ग ,डॉ कल्पना विश्वास, नित्या पटेरिया, डॉ अर्पणा श्रीवास्तव, डॉ रूपा भावसार डॉक्टर निहारिका भाव सार, डॉ सविता मानकर डॉ अंजना यादव और विद्यार्थी उपस्थित रहे।