पन्ना: आदिवासी बनवासी क्रांति सेना बुंदेलखंड के संयोजक के पी सिंह बुंदेला द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि संगठन बुंदेलखंड स्तर पर वनाधिकार कानून के लिए लगभग 20 वर्षों से संघर्षरत है जब तक 6 दिसंबर 2005 के वन भूमि पर काबीज आदिवासी- वनवासियों को उनका अधिकार पत्रक नहीं मिल जाता तब तक संगठन संघर्ष करता रहेगा।
बुंदेला ने कहा कि संगठन का व्यापक रूप से बुंदेलखंड स्तर पर रचनात्मक सामाजिक कुरीतियों को मिटाने के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं का संगठन में शामिल कर व्यापक रूप दे रहा है।
संगठन में पढ़े लिखे शिक्षित युवाओं को समाज में फैली बुराइयों एवं दबे कुचले गरीबों को उनका अधिकार देलाने पर वचनबद्ध है।
संगठन आदिवासियों को समाजिक महत्वता प्राप्त करने के लिए उन्हें राजनीति, समाज सेवा का एक प्रशिक्षण के रूप में मई 2023 में वन अधिकार कानून अधिकारों पर खंड स्तर पर आयोजन करेगा जिसमें योग शिक्षित आदिवासियों को सामाजिक राजनीतिक प्रशिक्षण का आयोजन कर उन्हें आज के समय जो नेता दवे; कुचले, कमजोर सीधे-साधे आदिवासियों को बहला-फुसलाकर राजनीतिक फायदे लेने के लिए उन्हे यूज किया जा रहा है वह आदिवासी बनवासी क्रांति सेना अब नहीं होने देगा आदिवासी सीधा-साधा जरूर है पर अब मूर्ख नहीं है आदिवासी बनवासी क्रांति सेना के पदाधिकारी आदिवासियों को अधिकारों की हक की लड़ाई लड़ने के लिए उन्हें नेता बनाना अब शुरू कर दिया है।
*बुंदेला ने आगे कहा कि संगठन का संयोजक होने के कारण भविष्य में कोई भी चुनाव नहीं लड़ेंगे* पर आदिवासियों को नेता बना कर संघर्ष के लिए प्रेरित किया जाएगा।
बहुत हुआ सहन अब आदिवासियों के साथ अत्याचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा गांधीवादी तरीके से अत्याचार का जवाब संगठन देगा।
संवाददाता संतोष चौबे