रिपोर्टर सीमा कैथवास
इटारसी से करीब 20 किलोमीटर दूर सतपुड़ा के घने जंगलों में पहाड़ी पर स्थित गुफा में भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए महाशिवरात्रि पर हजारों की संख्या में सुबह से ही श्रद्धालु पहुंचने लगे हैं । इस प्राचीन धार्मिक स्थल को लेकर बताया जाता है कि भस्मासुर की तपस्या स्थली तिलक सिंदूर में महाशिवरात्रि पर भव्य मेले का भी आयोजन होता आ रहा है, जहां दूर-दूर से हजारों श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए सतपुड़ा की पहाड़ी पर स्थित गुफा में अति प्राचीन शिवलिंग के दर्शन के लिए आते हैं। यहां पर भस्मासुर ने तपस्या कर भगवान शिव से वरदान मांगा था कि वह जिसके सिर पर हाथ रख दे वह भस्म हो जाए । भगवान शिव ने भस्मासुर की तपस्या से प्रसन्न होकर उसे यह वरदान दिया था, तब भस्मासुर ने कहा मुझे यह कैसे ज्ञात होगा कि मुझे यह वरदान प्राप्त हो गया है, तब भगवान ने कहा कि इसे आजमा कर देख लो , तब धूर्त भस्मासुर ने भगवान शिव के सिर पर हाथ रखकर वरदान आजमाने का प्रयास किया, तो भगवान उसी गुफा के अंदर ही अंदर सुरंग से निकलकर पचमढ़ी पहुंच गए। उक्त स्थल बड़ा महादेव कहलाता है । आज भी जिस गुफा में शिवलिंग स्थापित है उसकी पहाड़ की चोटी पर विशाल सुरंग मौजूद है जहां से भगवान शिव पचमढ़ी पहुंचे थे। यह भी बताया जाता है कि यह देश का इकलौता शिवलिंग है जहां भगवान शिव को सिंदूर चढ़ाया जाता है। इसीलिए इस प्रसिद्ध स्थल का नाम तिलक सिंदूर पड़ा है । यहां कलेक्टर एसपी ने महाशिवरात्रि से पूर्व ही व्यापक व्यवस्थाएं कराई है ताकि श्रद्धालु पूरी आस्था के साथ भोलेनाथ के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त कर सके ।
हजारों श्रद्धालु पहुंच रहे तिलक सिंदूर , सुरक्षा का खासा बंदोबस्त –
महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर देवों के देव महादेव को मनाने उनके दर्शन करने के लिए हजारों भक्तों का ताता सुबह से लगा हुआ है। भगवान भोलेनाथ को मनाने महाशिवरात्रि के अवसर पर हजारों भक्त सुबह से तिलक सिंदूर पहुंचे हैं। भगवान भोलेनाथ का सुबह का प्रथम अभिषेक करने के लिए लोगों में शिव के प्रति अपनी आस्था और भक्ति के लिए महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर तिलक सिंदूर पहुंच रहे हैं, हजारों भक्त। सुबह से ही भक्तों का तिलक सिंदूर पहुंचना प्रारंभ हो गया है, अपने बाबा को मनाने शिवभक्त सुबह से गुफा मंदिर पहुंचकर शिवलिंग के दर्शन कर रहे हैं। मंदिर के गर्भगृह में पहुंचने की अनुमति किसी को नहीं है, भीतर सिर्फ भूमका बैठे हैं जबकि भक्तों को बाहर से दर्शन करने और पूजन सामग्री के लिए एक टीन का रेम्प बना है, जहां से वे शिवलिंग तक बेलपत्र, धतूरा, नारियल, प्रसाद, जल आदि पहुंचा रहे हैं। सुरक्षा का खासा बंदोवस्त है और बड़ी संख्या में पुलिस जवान तिलक सिंदूर मंदिर , मेला स्थल आदि में तैनात हैं। तिलक सिंदूर की पहाड़ी के सामने मैदान में मेला भी लगा है, जहां घूमने वालों की बड़ी संख्या पहुंची है। तिलक सिंदूर मंदिर से करीब आधा किलोमीटर पहले ही वाहनों को रोक दिया जा रहा है ताकि मेला स्थल पर किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो। राजस्व और पुलिस विभाग का पूरा अमला अधिकारियों के नेतृत्व में यहां सुरक्षा और व्यवस्था बनाने में जुटा हुआ है। सुरक्षा के लिए यहां इटारसी, पथरोटा, केसला, रामपुर और तवानगर से भी पुलिस बल पहुंचा है।
भक्तो के लिए रास्ते में फलहारी भंडारे लगे –
तिलक सिंदूर पहुंच मार्ग पर भक्तों के लिए फलाहारी भंडारे लगाये गये हैं। तिलक सिंदूर में हंसगंगा नदी के किनारे एक फलाहारी भंडारा लगा है तो एक भंडारा उससे कुछ पहले। जमानी से तिलक सिंदूर के बीच तीन से चार भंडारे हैं, जहां भक्तों को साबूदाना खिचड़ी, नमकीन मट्ठा, फल, पेयजल आदि उपलब्ध कराया जा रहा है। इटारसी से जमानी मार्ग और धरमकुंडी से जमानी मार्ग पर भी कई जगह फल भंडारे चल रहे हैं। चप्पे चप्पे पर पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था की गई है।