प्रदीप गुप्ता/नर्मदापुरम/कुलामड़ी निवासी शिकायतकर्ता राकेश यादव ने बताया कि शहर में कालोनाइजर द्वारा की जा रही मनमानी एवं धोखाधड़ी पर आखिरकार नगर तथा ग्राम निवेष विभाग के अधिकारियों ने संज्ञान लेकर कालोनाइजर हरिषंकर शर्मा द्वारा अपूर्ण दस्तावेजों एवं अधिकारियों को भ्रामक जानकारी देकर अनुमोदित कराये गये अभिन्यास को निरस्त कर दिया है।
बता दें कि नर्मदा इंफ्राटेक भागीदार हरिशंकर शर्मा द्वारा ग्राम कुलामड़ी नर्मदापुरम में भूमि खसरा नंबर 113, (भाग) 131 130/2 कुल रकबा 2.217 हेक्टेयर में से 2.060 हेक्टेेयर भूमि का आवासीय अभिन्यास अनुमोदन कराया था। जिसको लेकर कम भूमि पर ज्यादा अभिन्यास स्वीकृत कराने की लगातार शिकायतें जिम्मेदार अधिकारियों से की जा रहीं थी। लेकिन कार्यवाही नहीं की जा रही थी। इस पर मेरे द्वारा दस्तावेजों एवं साक्ष्यों सहित नगर तथा ग्राम निवेष कार्यालय में शिकायत की गई थीं, जिस पर संज्ञान लेते हुए प्रभारी उपसंचालक नगर तथा ग्राम निवेश ने पूरे मामले में गलत जानकारी प्रस्तुत करने पर अभिन्यास निरस्त करने के आदेश पारित किये हैं। जारी आदेश में उल्लेख किया गया है कि प्रश्नाधीन स्थल ग्राम कुलामड़ी तहसील एवं जिला नर्मदापुरम स्थित भूमि खसरा क्रमांक 113 (भाग) 131, 130/2 कुल रकबे से ज्यादा भूमि पर नर्मदा इन्फ्राटेक भागीदार हरिशंकर शर्मा ने कालोनी के अभिन्यास की स्वीकृति हेतु आवेदन किया था। जिस पर आवासीय भूखंड विकास हेतु नगर तथा ग्राम निवेष अधिनियम 1973 की धारा 30 (1) (ख) के अंतर्गत अनुमति जारी की गई थी। उक्त संबंध में मेरे द्वारा प्रस्तुत षिकायत के संबंध में दोनों पक्षों को सुनवाई का अवसर प्रदान कर दिनांक 06.05.2022 को सुनवाई की गई, जिसमें दोनों पक्षों द्वारा मौखिक एवं लिखित कथन प्रस्तुत किया गया। प्रकरण में परिक्षणोपरांत पाया गया कि हरिशंकर शर्मा द्वारा अभिन्यास अनुमोदन के दौरान प्रस्तुत सीमांकन तथा वर्तमान में किये गये सीमांकन एवं अनुमोदित अभिन्यास की सीमाओं में भिन्नता है। अतः मप्र नगर तथा ग्राम निवेष अधिनियम 1973 धारा 29 (1) के अंतर्गत विकास अनुज्ञा प्राप्ति हेतु मप्र भूमि विकास नियम 2012 के नियम 14 के तहत प्रस्तुत आवेदन के साथ संलग्न जानकारी/ दस्तावेज त्रुटिपूर्ण प्रस्तुत करने के कारण मप्र भूमि विकास नियम 2012 के नियम 25 के तहत निम्नलिखित कारणों से कार्यालय के पत्र क्रमांक 166 से 171 दिनांक 26.07.2018 द्वारा जारी अनुज्ञा को प्रतिसहारण (रिव्होक) कर दिया गया है। हरि शर्मा द्वारा राजस्व विभाग द्वारा किये गये सीमांकन एवं राजस्व अभिलेख से हटकर अभिन्यास प्रस्तुत किया और तथ्यों को छुपाकर अभिन्यास अनुमोदित कराया गया। अनुमोदित अभिन्यास की सीमा और राजस्व विभाग द्वारा किये गये स्थल सीमांकन की सीमा में परिवर्तन आने की दषा में मप्र नगर तथा ग्राम निवेष अधिनियम 1973 के प्रावधानों के अंतर्गत संशोधित अभिन्यास स्वीकृत कराना चाहिये था, जो आज दिनांक तक नहीं कराया गया है। हरिशंकर शर्मा द्वारा दिये गये झूठे शपथ पत्र दिनांक 17.03.2018 में लेख किया गया है कि प्रश्नाधीन स्थल उनके स्वामित्व और अधिपत्य में है तथा सभी प्रकार से भारमुक्त है, स्थल में किसी अंश पर कोई विवाद नहीं है जबकि प्रस्तुत शिकायत के अनुसार उपरोक्त तथ्य सत्य नहीं है। प्रश्नाधीन स्थल पर प्रथम दृष्टया भूमि विवाद परिलक्षित होता है। अभिन्यास अनुमोदन की शर्त क्र. 26, 27 भूमि सीमा विवाद संबंधी शर्त का उल्लंघन होता है। अतः कालोनी की स्वीकृति दिनांक 26.07.2018 को निरस्त कर दिया गया है।