आज के समय मे हम वर्तमान छोड़कर भविष्य जीने की कोशिश करते है जिसके बारे मे हमे पता ही नही और
हम अपने बच्चो के भविष्य की तैयारी करते है और वर्तमान को भूल जाते है
जबकि किसी का भविष्य हम ना बिगाड सकते ना सुधार सकते है
हम सिर्फ इतना कर सकते है जैसा वर्तमान मे बोऐगें अगर अच्छी फसल हुई तो भविष्य में काटेगें
अगर हम वर्तमान मे बबूल का पेड़ लगाऐगे तो
हमे भविष्य मे बबूल ही काटना पडेगा
हम भविष्य की चिंता मे वर्तमान अच्छे से नही जी पाते है
हमने भूतकाल मे जो किया वह हम वर्तमान मे जी रहे है जो वर्तमान मे करेगे
उसे अगर भविष्य मे रहा तो वही जिऐगे
हमरा पिछला जन्म हमारा भूतकाल है हमने पिछले जन्म ( भूतकाल ) मे किसी का आहित किया तो वर्तमान ( इस जन्म ) मे उसका फल तो मिलेगा यही विधि का विधान है
जो वर्तमान ( इस जन्म) मे करेगें उसका परिणाम अगले जन्म ( भविष्य ) मे मिलेगा
परमात्मा ने जो हमारे निमित लिखा
वह हमे मिलेगा
हम सब जानते है फिर भी यहा वहा भटकते है
हमारे और परमात्मा के बीच एक दीबार है उसे ही गिरा दे तो परमात्मा के दर्शन हो जाते है
जिन्हे एक बार परमात्मा की अनुभूति हो जाती है उसकी राह ही बदल जाती है उनके दर्शन मात्र ही काफी ___
सीधा उदाहरण है
एक ही बस्तु की 100 दुकान है लेकिन उसमे जिसकी किस्मत होती है उसी को उतना मिलता है
एक ही व्यापार कई लोग करते लेकिन कुछ सफल होते कुछ विफल हो जाते क्यो
इसलिए हमेसा जो भी मिलता परमात्मा का उसी का धन्यवाद करे कि सब आपका दिया हम उसी मे खुश है हम लग जाते है कल उसको पैसा देना है कहा से लाऐगे,कैसा करेगे,कहा से व्यवस्था होगी
इस चक्कर मे हम अपना वर्तमान नही जी पाते अरे व्यवस्था करने वाला परमात्मा है एक बार हाथ जोड़कर अपनी समस्या तो दो पूरी करे ना करे उसकी जबाबदारी मे सौपो
यहा वहा भटकने से अच्छा की हम अपने वर्तमान को अपने तरीके से जिऐ
यह लेख संपादक के जीवन के अनुभव के अधार पर है
संपादक
मनीष गौतम
एम पी न्यूज कास्ट
9993205230