सिहोरा से रिजवान मंसूरी की रिपोर्ट
सिहोरा सिविल अस्पताल की अंधेरगर्दी रुकने का नाम नहीं ले रही है,कुछ समय पूर्व कलेक्टर महोदय ने सिहोरा दौड़ा कर सिविल अस्पताल के औचक
निरीक्षण दौरान अस्पताल में फैली अव्यवस्थाओं को देख नाराजगी जताते हुए , अस्पताल प्रबंधन को फटकार लगा व्यवस्थाओं में सुधार करने निर्देशित किया था, मगर सिहोरा अस्पताल प्रबंधन पर जैसे कलेक्टर महोदय के निर्देशन का कोई असर ना हुआ हो,आज भी वही लापरवाही देखी जा रही है, अस्पताल के मुख्य द्वार से लगी रोड पर निजी प्रैक्टिसनर डाक्टरों वा मेडिकल संचालकों की कारें और मोटरसाइकिलें बे तरीके ढन्ग से
खड़े होने से मरीजों को लेकर आने जाने वाली एम्बुलेंसों का फालतू समय बर्बाद होता है , जबकि मरीज के इलाज के लिए एक एक पल कीमती होता है, फालतू समय बर्बादी के कारण कभी भी किसी मरीज की जान जा सकती है, यदि इन बेतरीके खड़े वाहनों के कारण मरीज को लेकर आने जाने वाली एम्बुलेंस के फालतू समय बर्बादी के कारण कोई घटना घटती है तो इसकी जवाब दारी किसकी होगी,अगर अस्पताल प्रबंधन लापरवाही बरत रहा है तो क्या एस डी एम महोदय और थाना इंचार्ज व पुलिस स्टाफ की जवाबदारी नहीं बनती कि शहर की यातायात व्यवस्था को सुगम बनाने हेतु आवश्यक कार्यवाही करना चाहिए, जबकि अस्पताल परिसर में स्टेंड सुविधा उपलब्ध है, फिर भी उसका उपयोग ना करते हुए मनमानी और दबंगई के साथ रोड पर वाहन खड़ा कर देना, अस्पताल प्रबंधन और यहां की कानून व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाता है, वहीं दबी जुबान लोगों के मुंह से सुना गया कि सिहोरा पुलिस को हैलमिट और गाड़ियों के कागज़ चैकिंग की ज्यादा फ़िक्र रहती है , यहां अगर मरीज की जान भी जाती है तो उससे क्या फर्क पड़ेगा, जबकि इसके पूर्व भी पत्रकारों के माध्यम से यहां की अव्यवस्थाओं की जानकारी दी जा चुकी है,मगर आज तक यहां किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं आती तो कहीं किसी जनप्रतिनिधि का दबाव तो नहीं है,अब देखने वाली बात ये है कि अब भी कोई ठोस कार्यवाही की जाती है या फिर किसी मरीज की जान जाने का इंतेज़ार किया जाता है,