उमरिया । पितृपक्ष का महीना चल रहा है, इस समय पितरों का श्राद्ध व तर्पण किया जाता है. । राम वन गमन के एक प्रमुख स्थल जहां पर भगवान राम वन गमन के दौरान अपने पिता का श्राद्ध किया था, यह स्थल उमरिया जिले में स्थित है। यह अमरकंटक से निकलने वाली दो प्रमुख नदियों सोनभद्र एवं जोहिला के संगम स्थल पर स्थित है. इसे दशरथ घाट के नाम से जाना जाता है। उमारिया जिले में स्थित है भगवान श्री राम वन गमन के एक प्रमुख स्थल जिसे दशरथ घाट के नाम से जाना जाता है । जिले के मानपुर नगर से शहडोल की ओर जाने वाले मार्ग स्थित ग्राम केल्हारी में मुख्य मार्ग से तकरीबन 3 किमी दक्षिण दिशा में दो नदियों सोन एवं जोहिला के संगम स्थल पर मौजूद दशरथ घाट में वन गमन के दौरान ही भगवान राम ने अपने पिता महाराजा दशरथ का श्राद्ध किया था और यही वजह है कि विंध्य मैकल पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊंची चोटी अमरकंटक से निकलने वाली देश की दो प्रसिद्ध नदियों सोनभद्र एवं जोहिला के संगम स्थल को आज भी दशरथ घाट के नाम से जाना जाता है,राम वन गमन के मुख्य स्थलों में शुमार दशरथ घाट में हर अमावस्या एवं पूर्णिमा में आसपास के रहवासी स्नान पूजा पाठ करने आते हैं और बसंत पंचमी के मौके पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है जहां उमारिया शहडोल सहित प्रदेश एवं देश के कई अन्य हिस्सों से श्रद्धालु पंहुचते हैं,इस स्थल की और खास विशेषता है कि यहां भगवान कार्तिकेय का दुर्लभ मंदिर है बता दें भगवान कार्तिकेय के मंदिर दक्षिण भारत मे पाए जाते हैं इस इलाके का यह इकलौता दुर्लभ मंदिर है। रामचरित मानस के अनुसार भगवान राम जब अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए 14 वर्ष के लिए वनवास के लिए निकले तो एक लंबा समय लगभग 12 वर्ष उन्होंने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ चित्रकूट में बिताया यहीं भगवान श्री राम को भाई भरत से पिता महाराजा दशरथ की मृत्यु का समाचार मिला,14 वर्ष का वनवास पूरा करने भगवान राम जब चित्रकूट से आगे बढ़े तो सतना जिले के कई स्थलों से होते हुए उमरिया जिले की सीमा पर स्थित सोन नदी के किनारे मार्कण्डेय आश्रम पंहुचे और उसके बाद बाँधवगढ किले में रात्रि विश्राम के बाद जब आगे बड़े तो सोन एवं जोहिला नदी के संगम स्थल पंहुचे और संगम स्थल में पिता महाराजा दशरथ का श्राद्ध किया और आगे शहडोल जिले के जयसिंह नगर होते हुए छत्तीसगढ़ से होते हुए नासिक पंचवटी पंहुचे,हालांकि रामवन गमन के प्रमुख स्थल दशरथ घाट हैं।