2016 से 2020 के बीच के दूसरे मामलों को भी मिला लें 58 करोड़ रुपये अर्थदंड नहीं लिया गया। यह जानकारी 15 सितंबर को विधानसभा के पटल पर रखी गई नियंत्रक एवं महोलेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में सामने आई है। रिपोर्ट में उल्लेख है कि दमोह, डिंडोरी, ग्वालियर, इंदौर, खरगौन, मुरैना, शहडोल, शाजापुर और शिवपुरी 44 मामलों में 3.38 लाख घन मीटर पत्थर, 0.89 लाख घन मीटर रेत और 0.27 लाख घन मीटर मुरम की खोदाई मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मंडल से सीटीओ (संचालन की स्वीकृति) के बिना ही कर डाली। इसकी रायल्टी 4.40 करोड़ थी। 2016 से 2020 के बीच 18 जिलों 47 मामलों में पट्टेधारकों ने 10.46 लाख घन मीटर का अधिक उत्खनन किया। इनसे 30.90 करोड़ अर्थदंड वसूला जाना था।
इस तरह की गड़बड़ी भी सामने आई
— खनन निरीक्षकों द्वारा खदान के गड्ढों की माप नहीं की गई, जिससे राजस्व की वसूली कम हुई।
— जिला स्तरीय टास्क फोर्स की जितनी बैठकें होनी थी, उसकी 15 प्रतिशत भी नहीं हुईं।
— 2016 में सतना में पट्टेदार ने 6726 घन मीटर पत्थर का अवैध उत्खनन किया। इसकी रायल्टी छह लाख थी। पट्टेदार पर दो करोड़ रुपये का अर्थदंड लगाया जा सकता था, लेकिन नहीं लगाया।
–विभाग उत्खनन की निगरानी के लिए रिमोट सेंसिंग और जीआइएस का उपयोग नहीं कर रहा है।
सूत्र के अधार पर