प्रदीप गुप्ता/नर्मदापुरम/(सीहोर) आज विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास संस्थान (एनआई एमएचआर) द्वारा “आत्महत्या रोकथाम एवं कार्यवाही के माध्यम से आशा” थीम पर जिला स्तरीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्य शाला में आत्महत्या के कारणों का पता लगाकर उनकी रोकथाम के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए सभी को प्रेरित किया गया। कार्यशाला के मुख्य अतिथि सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव प्रतीक हजेला वर्चुअली कार्यक्रम से जुड़े। कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित करते हुए सामाजिक न्याय विभाग के प्रमुख सचिव प्रतीक हजेला ने कहा कि आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर आयोजित इस जिला स्तरीय कार्यशाला के माध्यम से सभी लोगो को लगातार बढ़ रहे आत्महत्या के मामलों में कमी लाने के लिए जनजागरूकता की आवश्यकता है। आत्महत्या की इस चैन को तोड़ने के लिए हमें लोगो को समस्याओं से सामना करने के लिए जागरूक करना होगा। इसके लिए समाज एवं देश का यह कर्तव्य है कि हम ऐसा समाज बनाए जहां आत्महत्या को रोकने के लिए कारगर कदम उठाए जा सके। आत्महत्या करने वाले लोग अपने परिवार को संकट में डाल देते है और आत्महत्या के प्रयास में असफल रहने वाले लोग दिव्यांगता का जीवन व्यतीत करते है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार भारत में पूर्व में चली आ रही सती प्रथा जैसी अनेक प्रथाओं को आज पूरी तरह से समाप्त किया जा चुका है, ठीक उसी तरह यदि हम आत्महत्या के कारणों को समझकर उन पर कार्य करें, तो आत्महत्या के मामलों में कमी लाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि जब तक हम समस्याओं से लड़ेंगे नही तब तक हमें उनसे छुटकारा नही मिलेगा, इस बात को व्यक्तियों को अपने जीवन में उतारना होगा। कार्यक्रम में कलेक्टर चंद्र मोहन ठाकुर ने कहा कि व्यक्ति के जीवन में उतार-चढ़ाव तो आते रहते है, असफल होना कोई बुरी बात नहीं है, दृढ़ इच्छा शक्ति से अगर हम दोबारा प्रयास करेंगे तो निश्चित की सफलता मिलेगी। उन्होंने कहा कि भूलना मानव की सबसे बड़ी विशेषता है और हमें बुरी बातों को भूलकर अच्छी बातेँ याद रखनी चाहिए। हमारी असफलता पर कौन हमारे लिए क्या सोचेगा, इससे हमें कोई फर्क नही पड़ना चाहिए। ज्यादातर लोग अपनी मानसिकता को इसी रूप में ढाल लेते है और परेशान हो जाते है। कार्यक्रम में कलेक्टर श्री ठाकुर ने अपने जीवन के मानसिक स्वास्थ्य संबंधी घटनाक्रम को साझा करते हुए कहा कि जीवन में सभी लोगो कही न कही असफलता का सामना करना ही पड़ता है। लेकिन उसका कतई यह मतलब नही होता कि हम अपने जीवन यात्रा को ही समाप्त कर दे। हमें असफलता से सीखकर पूरी लगन से लक्ष्य प्राप्ति के लिए आगे बढ़ना चाहिए। कई बार इन्सान सफल होने ही वाला होता है, लेकिन मानसिकता ठीक नही होने के कारण वह अपने जीवन में गलत कदम उठा लेता है। इसलिए आवश्यक है कि किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए सकारात्मकता और धैर्य बनाए रखें। उन्होंने लोगो के मानसिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ करने के लिए चलाई जा रही भारत सरकार की एनआईएमएचआर संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की। कार्यशाला में मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के डिप्टी डायरेक्टर मोहम्मद अश्फ़ाक, डॉ. निमेश देसाई, गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल से डॉ. रुचि, बाल एवं किशोर मनोचिकित्सा सलाहकार डॉ. समीक्षा साहू, डॉ. प्रगति पांडेय ने भी संबोधित किया।