सिलौंडी : दशलक्षण पर्व के चौथे दिवस आज उत्तम शौच धर्म पर प्रवचन करते हुए पंडित प्रमोद जैन ने बताया कि उत्तम शौच का अर्थ है कि जीवन में लोभ का अंत कर संतोष को प्राप्त करना । लोभी व्यक्ति अपने लालच में जीवन को नाश कर लेता है । लोभ ही पाप का बाप है । जीवन में जो कुछ प्राप्त हुआ है उसमें ही संतोष करना चाहिए । संतोषी व्यक्ति हमेशा खुश रहता है ।
संसार मे खाली हाथ आये थे और खाली हाथ ही जाना है तो क्यों व्यर्थ में अपार दौलत ,जगह जमीन का संग्रह करना । दश धर्मों को जीवन में लाना हो। जैन समाज के छोटे छोटे बच्चे भी भगवान की आराधना में लीन हैं । नन्हे मुन्ने बच्चे श्रेयांश जैन ,श्रीवि,नयन जैन ,अवनी जैन ,गगन जैन भी पहले मंदिर जाकर भगवान की पूजन अर्चन कर रहे है फिर स्कूल जा रहे है । जैन मंदिरों में सुबह से ही अभिषेक पूजन , शान्ति धारा ,दोपहर में विधान ,शाम में सामायिक ,रात में आरती और शास्त्र का वाचन चल रहा है ।